genda ki kheti

गेंदा की खेती। genda ki kheti। genda phool ki kheti

गेंदा की खेती या genda ki kheti और genda phool ki kheti और गेंदा की खेती कैसे करें इस ब्लॉग पोस्ट में हम जानेंगे।

इन सबके अलावा हम यह भी जानेंगे कि गेंदा की खेती का समय या गेंदा की खेती कब करें या गेंदे की खेती कब की जाती है और गेंदा फूल कितने दिन में आता है या गेंदे के पौधे की उम्र कितनी होती है और गेंदे के बीज कैसे लगाए जाते हैं और गेंदा फूल कितने रुपए किलो बिकता है या प्रति किलो गेंदा कीमत या कह सकते हैं गेंदा फूल का रेट 2022 व गेंदा का तेल क्या रेट है तथा गेंदा के औषधीय गुण व गेंदा के फूल का बीज और गेंदा की उन्नत किस्में व तथा व गेंदा लगाने का समय तथा गेंदा फूल की खेती से लाभ कुल मिलाकर अगर आसान शब्दों में कहें तो हम आज गेंदा के फूल की खेती कैसे करें या genda ki kheti के विषय में पूरी जानकारी जानेंगे।

गेंदा की खेती एक बहुत लोकप्रिय खेती मानी जाती है इसका उत्पादन व्यापारिक स्तर पर बाजार की मांग के अनुसार किया जाता है गेंदा का ज्यादातर उपयोग मालाएं बनाने और सजावट के लिए किया जाता है इसीलिए इसकी मांग खास अवसरों जैसे; धार्मिक, सामाजिक कार्यों और चुनाव के समय बढ़ जाती है। इसके कुल उत्पादन का कुछ भाग बेचा भी जाता है।

गेंदे की मुख्य रूप से तीन प्रजातियां हैं जाफरी गेंदा, सिगनेटा गेंदा, अफ्रीकन गेंदा।

सिगनेटा गेंदा के खास बात यह है कि इसे ज्यादातर पहाड़ी क्षेत्रों में उगाया जाता है और इसके पौधे छोटे भी होते हैं गेंदा फूल की खेती से लाभ यह भी होता कि अगर गेंदे की खेती सब्जी की खेती के साथ की जाए तो कुछ बीमारियों की रोकथाम हो जाती है।

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गेंदा की खेती के लिए जलवायु (genda ki kheti ke liye jalvayu):-

अगर गेंदा की खेती के लिए जलवायु की बात की जाए तो गेंदा शीतोष्ण जलवायु का पौधा है और गेंदे की जो फ्रेंच और अफ्रीकन प्रजातियां हैं वह लगभग हर एक मौसम में उगाई जा सकती हैं ज्यादा ठंड गेंदे की खेती के लिए अच्छी नहीं मानी जाती है। क्योंकि इससे पौधे नष्ट होने लगते हैं।

गेंदा की खेती के लिए मिट्टी (genda ki kheti ke liye mitti):-

गेंदे की खेती दोमट मिट्टी, बलुई दोमट मिट्टी में आसानी से की जा सकती है मिट्टी का pH मान 5 से 7.5 के बीच होना चाहिए। क्योंकि अगर pH मान बहुत कम या बहुत ज्यादा होगा तो तो यह फसल उत्पादन में बाधक बनेगा pH मान कम या ज्यादा होने से तात्पर्य मिट्टी के अम्लीय और क्षारीय होने से है।

गेंदा की उन्नत किस्में (genda ki unnat kisme):-

गेंदा की उन्नत किस्में निम्नलिखित हैं:

रस्टी रेड, नाटी मेरिस्टा, हनीकॉम्ब, स्कारलेट ग्लो, सनजाइंट, पूसा नारंगी, क्यूपिड, मेमथमग, क्रेकर जक, आइरिस लेस, आइरिस गोल्ड, प्यूमिला सनराइड, रेड ग्लू गोल्ड, गेलेडीज, यैलो नगेट, आदि।

गेंदा की बीजदर (genda ki beejdar):-

एक हेक्टेयर क्षेत्र के लिए संकर किस्म का लगभग 450 से 500 ग्राम और अन्य किस्मों के लिए एक किलोग्राम बीज पर्याप्त रहता है। और बीज का शोधन जरूर करना चाहिए बीज शोधन के लिए बाविस्टिन या कैप्टान 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम के हिसाब से प्रयोग करना चाहिए।

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गेंदा की नर्सरी कैसे करें (genda ki nursery kaise kare):-

किसान भाइयों गेंदे की खेती करने के लिए गेंदे की पौध को नर्सरी में तैयार करते हैं नर्सरी को तैयार करने के लिए 01 मीटर चौड़ी तथा 15 सेमी ऊंची क्यारी बनाई जाती हैं और दो क्यारियों के बीच 30 सेमी स्थान छोड़ दिया जाता है।

गेंदा की बुवाई (genda ki buvai):-

किसान भाइयों जैसा कि हमने पहले ही जाना की गेंदा की खेती वर्ष भर की जा सकती है लेकिन व्यवसायिक रूप से देखा जाए तो तीन ही फसलें मुख्य हैं

गेंदा की वर्षाकालीन फसल:- इसकी बुवाई मध्य जून से मध्य जुलाई तक कर देनी चाहिए।

गेंदा की शीतकालीन फसल:- इसको मध्य सितंबर से मध्य अक्टूबर तक बो देना चाहिए।

गेंदा की ग्रीष्मकालीन फसल:- इस गेंदे की बुवाई जनवरी के आखिरी सप्ताह से मध्य फरवरी तक कर देनी चाहिए।

पहाड़ी क्षेत्रों में इस गेंदा की बुवाई मई महीने में करते हैं

जो समय ऊपर दिया गया है वह गेंदा की नर्सरी लगाने का समय दिया गया है।

गेंदा की रोपाई (genda ki ropai):-

गेंदा को नर्सरी में लगाने के एक महीने बाद पौधे रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं।

गेंदा की खेती में पंक्ति और पौधे की दूरी:-

जाफरी गेंदा: 20×20 सेमी•

अफ्रीकन गेंदा: 40×30 सेमी•

संकर गेंदा: 60×30 सेमी•

एक हेक्टेयर में जाफरी गेंदा के लगभग 25000 और अफ्रीकन गेंदा के लगभग 75000 पौधे लगते हैं।

अगर गेंदा की खेती से बीज उत्पादन करना हो तो दो किस्मों के बीच कम से कम एक किलोमीटर की दूरी होनी चाहिए।

गेंदा की खेती में शीर्षकर्तन (genda ki kheti me shirshkartan):-

जब किसान भाइयों गेंदा की खेती करते समय जब पौधा 8 से 10 सेमी• लंबाई का हो जाता है तो ऊपर की 3 से 4 सेमी• शाखा को तोड़ देना चाहिए लेकिन यदि किसी पौधे से केवल एक पुष्प ही प्राप्त करना हो तो उसमें यह क्रिया नहीं करते हैं लेकिन 3-4 या इससे अधिक फूल प्राप्त करने के लिए यह क्रिया जरूरी हो जाती है।

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गेंदे की खेती में सहारा देना (genda ki kheti me sahara dena):-

सहारा देने का मुख्य उद्देश्य पौधों को गिरने से बचाना और इसे सीधा खड़ा रखना होता है इस कार्य के लिए अधिकतर बांस की खरपच्चियां प्रयोग में लाई जाती हैं विशेष परिस्थितियों में किसी दूसरी लकड़ी को भी प्रयोग में लाया जा सकता है।

गेंदा की खेती में सिंचाई (genda ki kheti me sinchai):-

किसान भाइयों गेंदे की खेती में सिंचाई कई कारकों जैसे- मिट्टी की किस्म, तापमान, बारिश की मात्रा आदि पर निर्भर करती है लेकिन आमतौर पर गर्मी के मौसम में 4-5 दिनों तथा सर्दियों के मौसम में 8-12 दिनों के अंतर से सिंचाई करनी चाहिए।

और साथ में एक बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि अगर खेत में अतिरिक्त पानी हो गया हो तो उसे बाहर निकाल दें।

गेंदा में खाद और उर्वरक (genda me khad aur urvarak):-

गेंदा की खेती करते समय पौधों के जरूरी विकास के लिए, फूलों की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए और पोषक तत्वों की आपूर्ति के लिए गेंदा की खेती में खाद और उर्वरक को संतुलित मात्रा में देना चाहिए।

पोषक तत्वों का नाममात्रा
कम्पोस्ट10-12 टन
नाइट्रोजन110 किलोग्राम
फॉस्फोरस75 किलोग्राम
पोटेशियम75 किलोग्राम

कम्पोस्ट को पहली जुताई के समय खेत में बिखेरकर जुताई करना चाहिए, नाइट्रोजन की आधी मात्रा, फॉस्फोरस की पूरी मात्रा, पोटेशियम की पूरी मात्रा आखिरी जुताई के समय और नाइट्रोजन की बची आधी मात्रा को गेंदे की रोपाई के एक महीने बाद टॉप ड्रेसिंग के रूप में देनी चाहिए।

हमारी सलाह है कि यदि संभव हो सके तो गेंदे की फसल उगाने से पहले मिट्टी की जांच जरूर करा लेनी चाहिए ताकि खेत में खाद और उर्वरकों की मात्रा सटीकता से पड़ सके।

गेंदा की खेती में खरपतवार नाशक (genda ki kheti me kharpatwar nashak):-

किसान भाइयों गेंदे की फसल में उगने वाले खरपतवारों को समय समय पर निराई गुड़ाई करके निकालते रहना चाहिए। और इसके साथ ही साथ अफ्रीकन गेंदा में पौधे का आकार बड़ा होने के कारण उसके गिरने का भय रहता है अतः जरूरत के अनुसार मिट्टी चढ़ाने की व्यवस्था भी करनी चाहिए।

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गेंदा की खेती के रोग और उनकी रोकथाम:-

गेंदा की खेती में कई हानिकारक रोग हो जाते हैं जिनमें से कुछ महत्वपूर्ण रोगों के बारे में जानकारी दी गई है।

गेरुई या भूरी फफूंदी:-

यह रोग ओडियम स्पेसीज फंगस के द्वारा होता है इस रोग का आक्रमण वायु और प्रकाश की अनुपलब्धता वाले पौधे पर होता है गेरूई या भूरी फफूंदी रोग होने से पुष्प से लेकर पौधे की पत्तियां भी प्रभावित होती हैं।

गेरुई या भूरी फफूंदी की रोकथाम:-

गेरूई रोग से बचाव के लिए पौधे की पत्तियों पर सल्फर धूल या गंधक धूल का बुरकाव करना चाहिए या पोटेशियम सल्फाइड का घोल बनाकर भी स्प्रे कर सकते हैं।

पर्ण धब्बा रोग:-

पर्ण धब्बा रोग कवक सेप्टोरिया स्पेशीज के द्वारा होने वाला रोग है इस रोग के होने पर शुरुआत की अवस्था में पत्रफलक पर भूरे कलर के के धब्बे बन जाते हैं जिसके कारण पूरा पौधा नष्ट हो जाता है।

पर्ण धब्बा रोग की रोकथाम:-

पर्ण धब्बा रोग के होने पर इसकी रोकथाम के लिए पोटेशियम सल्फाइड या डायथेन M-45 के घोल का स्प्रे महीने में दो बार करना चाहिए।

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गेंदा की खेती में कीट और उनकी रोकथाम:-

गेंदा की खेती में कीड़े भी कई लग जाते हैं जिसके कारण पौधे के पुष्प और पत्तियां कभी कभी पूरा पौधा ही नष्ट हो जाता है तो उन खतरनाक कीड़ों में से कुछ कीड़ों की जानकारी हम यहां दे रहे हैं।

थ्रिप्स:-

थ्रिप्स कीट आकार में बहुत छोटे छोटे होते हैं जो कि बड़े होने पर बादामी रंग के हो जाते हैं थ्रिप्स कीट पत्तियों की निचली सतह पर आक्रमण करते हैं थ्रिप्स कीट छेद करके पत्तियों का रस चूस लेते हैं जिसके कारण पत्तियां पीली पड़कर भूमि पर गिर जाती हैं।

थ्रिप्स कीट की रोकथाम:-

थ्रिप्स कीट की रोकथाम के लिए 0.1 प्रतिशत लिंडेन अथवा इमिडाक्लोरपिड (4-5 ml.) को 8-10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए।

हरी मक्खी:-

हरी मक्खी पौधे के ऊपर वाले भाग की पत्तियों के बीच वाले भाग में एकत्रित हो जाती हैं हरी मक्खी कलियों के बनते समय ही आक्रमण करते हैं जब रस चूसने वाले दूसरे कीट हानि पहुंचा रहे होते हैं।

हरी मक्खी की रोकथाम:-

हरी मक्खी की रोकथाम के लिए मैलाथियान @2ml/l की मात्रा के अनुसार छिड़काव करना चाहिए।

नर्सरी में 5kg कम्पोस्ट खाद प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से डालते हैं पौधों को wiet से बचाने के लिए 0.05% के अनुसार क्लोरोपाइरीफाज से मिट्टी को उपचारित करना चाहिए।

गेंदा के औषधि गुण (genda ke aushadhi gun):-

गेंदा के औषधि गुण की बात की जाए तो गेंदा के फूल का उपयोग एंटी बायोटिक के रूप में किया जाता है। और गेंदा फूल का उपयोग सौंदर्य उत्पादों को बनाने के लिए भी किया जाता है। और इसके साथ ही गेंदा के फूल में कई ऐसे तत्व भी उचित मात्रा में पाए जाते हैं जो कि घावों को ठीक करने में मददगार साबित होते हैं इन सबके अलावा भी गेंदा के फूल में कई औषधि गुण पाए जाते हैं।

गेंदा की उपज:-

गेंदे की उचित देखभाल करने पर निम्नलिखित गेंदा की उपज मिलती है।

फ्रेंच गेंदा की उपज या जाफरी गेंदा की उपज:-

130 से 140 कुंतल प्रति हेक्टेयर

अफ्रीकन गेंदा की उपज:-

175 से 190 कुंतल प्रति हेक्टेयर

हमनें जिन सवालों को इस ब्लॉग पोस्ट में नहीं लिया है उनको नीचे दिए गए कुछ प्रश्नों में लिया गया है तो आप नीचे भी उन सवालों के जवाब पढ़ सकते हैं।

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किसान भाईयों तो इस ब्लॉग पोस्ट में हमनें जाना कि गेंदा की खेती कब करें और गेंदे के बीज कैसे लगाए जाते हैं और या प्रति किलो गेंदा कीमत या कह सकते हैं गेंदा फूल का रेट 2022 व तथा गेंदा के औषधि गुण और गेंदा की उन्नत किस्में व तथा व गेंदा लगाने का समय कुल मिलाकर आज गेंदा के फूल की खेती कैसे करें या genda ki kheti के बारे में पूरी जानकारी ली।

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