गुलाब की खेती। gulab ki kheti। rose farming। पूरी जानकारी।

गुलाब की खेती। gulab ki kheti। गुलाब की खेती कैसे करें। gulab ki kheti kaise karen। rose farming। इन सभी गुलाब की खेती संबंधित सवालों का जवाब आपको इस लेख में मिल जाएगा।

गुलाब का सुगन्ध और सुंदरता की दृष्टि से फूलों में पहला स्थान है। भारत में इसे पुष्पराज और यूरोप में इसे फूलों की रानी कहते हैं। गुलाब को प्यार, मित्रता और शांति का प्रतीक माना जाता है। गुलाब की खेती इत्र, गुलकंद, गुलाब जल, और गुलाब का तेल बनाने के लिए की जाती है।

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गुलाब की खेती करने के लिए उपयुक्त जलवायु:-

गुलाब के लिए ज्यादा गर्मी तथा ज्यादा सर्दी, दोनों ही अनुपयुक्त हैं अतः दोनों ही परिस्थितियों में गुलाब के पौधों का विकास और उचित वृद्धि नहीं हो पाती है। गुलाब के लिए दिन का तापमान 25-30 डिग्री सेल्सियस और रात का 12 से 15 डिग्री सेल्सियस के मध्य उत्तम माना जाता है।
नोट:- जहां पर तापमान बहुत ज्यादा होता है वहां पर ग्रीन हाउस अच्छा विकल्प है जिससे उचित वातावरण बनाकर बाजार की मांग के अनुसार पौधों का उत्पादन कर आर्थिक काफी लाभ कमाया जा सकता है।

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गुलाब की खेती करने के लिए भूमि:-

गुलाब की खेती करने के लिए दोमट भूमि सबसे ज्यादा अच्छी रहती है, लेकिन बलुई दोमट से लेकर चिकनी दोमट मिट्टी में गुलाब की खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है मिट्टी का pH मान 6.5-7.5 के बीच में रहना चाहिए और जल भराव की स्थिति नहीं होनी चाहिए।

गुलाब की खेती करने के लिए भूमि की तैयारी:-

गुलाब की खेती करने के लिए ले-आउट करके खेत को क्यारियों में बांट देते हैं क्यारियों का आकार (L×W – 5×2 Mtrs) रखते हैं। दो क्यारियों के बीच 30 सेन्टीमीटर रिक्त स्थान रखना चाहिए। अप्रैल-मई में 70 से 80 सेन्टीमीटर गहराई तक खुदाई करके 15 से 20 दिन तक खुला छोड़ दें ताकि कीड़े, फफूंदी, खरपतवार, आदि नष्ट हो जाएं। और खुदाई करते समय खोदी गई मिट्टी को पास की क्यारी में डालते जाएं। क्यारी की निचली पर्त में वेल डिकंपोज्ड कम्पोस्ट 20 से 25 दिन पहले भरकर डाल दें। दीमक से बचाव करने के लिए क्लोरोपाइरीफॉस अथवा कार्बोफ्यूरॉन 3जी का प्रयोग करें। इसके बाद में 50 से 75 सेंटीमीटर व्यास तथा 60 से 70 सेन्टीमीटर गहरे गड्ढे खोदे जाते हैं। औसत रुप में पौधे×पंक्ति की औसत दूरी 30 से 60 सेन्टीमीटर रखते हैं परंतु गुलाब की अलग-अलग किस्मों के अनुसार दूरी कम या ज्यादा हो सकती है।

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गुलाब की किस्में:-

विश्वभर के सभी देशों में गुलाब की 20,000 से ज्यादा किस्में उपलब्ध हैं।
गुलाब की किस्मों को मुख्य रूप से दो भागों में बांट सकते हैं।

भारतीय किस्में
आयातित किस्में

भारतीय किस्में:-

फ्लोरीबण्डा किस्में:-

अरुणिमा, रूपाली, मोहिनी, सदाबहार, प्रेमा, सिंदूर, चंद्रिमा, आदि।

हाइब्रिड टी किस्में:-

मृणाली, अभिसारिका, आकाश सुंदरी, रंगशाला, चितवन, अर्जुन, मृदुला, आदि।

नवीनतम किस्में:-

पूसा प्रिया, पूसा गरिमा, पूसा गौरव, पूसा वीरांगना, पूसा बहादुर।

कटे फूलों की किस्में:-

सोनिया, पाइरो, हालो, इलौना, स्टारलाइट, आदि।

आयातित किस्में:-

यह किस्में यूरोपियन गुलाब तथा चीनी गुलाब के संयोग से तैयार की गई हैं।

फ्लोरीबण्डा किस्में:-

जेमा, सी-पर्ल, मेरिना, फैशन, ऑलगोल्ड, ऑरेंज सिल्क, बोरोलीना, टिकी, आदि।

हाइब्रिड टी किस्में:-

ब्ल्यू मून, एपोलो, ब्रांडी, किस ऑफ फायर, मिस्टर लिंकन, सुपर स्टार, ग्रेनाडा, फर्स्ट प्राइज, पैराडाइज, आदि।

गुलाब की रोपाई का उचित समय:-

भारत के अधिकतर भागों में गुलाब की रोपाई का उचित समय सितम्बर-अक्टूबर है पहाड़ी इलाकों में अक्टूबर-नवम्बर अथवा फरवरी-मार्च। पौधा लगाने के बाद में सिंचाई करनी चाहिए।

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गुलाब की खेती में प्रवर्धन विधियां:-

गुलाब के प्रवर्धन के लिए आगे दी गई विधियां प्रमुख हैं-

बीज के द्वारा:-

इस विधि से पौधे उगाने में ज्यादा समय लगता है इस विधि का प्रयोग नई किस्में विकसित करने के लिए करते हैं।

कलम के द्वारा:-

यह विधि अधिक खर्चीली तथा कठिन होने के कारण कम ही प्रयोग की जाती है।

कर्तन के द्वारा:-

इस विधि के द्वारा देशी गुलाब से मूल वृंत तैयार किया जाता है।

लेयरिंग के द्वारा:-

टहनियों में जल्दी जड़ें निकालने के लिए यह विधि उपयुक्त है इसमें इंडोल ब्यूटायरिक एसिड और नैफ्थलीन एसिटिक एसिड रसायनों का प्रयोग किया जाता है।

कलिकायन के द्वारा:-

यह विधि गुलाब के प्रवर्धन की व्यवसायिक विधि है इसके लिए Shield अथवा T Budding विधि प्रयोग में लाई जाती हैं इस विधि में गुलाब की विभिन्न किस्मों को Root stock के रूप में प्रयोग करते हैं इजराइल में गुलाब के प्रजनन के लिए Rosa indica किस्म का प्रयोग किया जाता है। इसके लिए नर्सरी में सितम्बर-अक्टूबर महीने में Root stock को 2.5 सेन्टीमीटर की दूरी पर रोप दिया जाता है इस विधि के द्वारा पौध तैयार करने में लगभग 22 से 24 महीने का समय लगता है।

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गुलाब की खेती करने के लिए खाद और उर्वरक:-

गुलाब के पौधे पर्याप्त पोषक तत्व न मिलने के कारण विकसित नहीं हो पाते हैं और इसलिए फूल भी कम खिलते हैं गुलाब के पौधों के लिए वेल डिकंपोज्ड गोबर की खाद बहुत अच्छी रहती है। और यदि गोबर की खाद उपलब्ध न हो तो आगे दिए गए उर्वरकों का मिश्रण तैयार करें।

अमोनियम सल्फेट = 1-2 Kg
एस एस पी = 2.5 Kg
पोटैशियम सल्फेट = 1-1.5 Kg
बोन मिल (स्टीम्ड) = 4-5 Kg
खली (मूंगफली) = 5-5.5 Kg
ऊपर दिए गए मिश्रण को 50 से 100 ग्राम प्रति पौधा प्रयोग करें।

गुलाब की खेती करने में सिंचाई:-

गुलाब की खेती में सिंचाई का उत्तम प्रबंध होना चाहिए। गर्मी में 5 से 7 दिनों और सर्दी में 10 से 12 दिनों के बाद सिंचाई करते रहना चाहिए।

गुलाब की खेती करने में निराई-गुड़ाई:-

साल भर में 4से5 बार निराई तथा 2से3 बार गुड़ाई करनी चाहिए।

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गुलाब की खेती में खरपतवार और उनकी रोकथाम:-

गुलाब के पौधों के बीच में उगे खरपतवारों को निकालना जरुरी है खरपतवार मुख्य रूप से गुलाब की खेती में निराई-गुड़ाई करने से निकल जाते हैं और निराई-गुड़ाई करना इसलिए भी जरुरी है। ताकि खरपतवार गुलाब के पौधों के पोषक तत्व व नमी को ग्रहण न कर सकें।

गुलाब की खेती में रोग और उनकी रोकथाम:-

गुलाब की फसल में कई रोग लगते हैं लेकिन हम यहां पर कुछ महत्त्वपूर्ण रोगों के बारे में जानकारी दे रहे हैं।

चूर्णिल आसिता रोग:-

इस रोग से ग्रसित पौधों की पत्तियों पर सफेद रंग का पाउडर फैला दिखाई देता है। यह पत्तियां बाद में पीली पड़कर सूख जाती हैं।

रोकथाम:-

0.5 ml. बाविस्टिन को 1 लीटर पानी में घोलकर दो सप्ताह के अंतराल पर छिड़काव करना चाहिए।

शीर्षआरंभी क्षय रोग:-

यह रोग प्रूनिंग के तुरंत बाद ही लग जाता है जो शाखाओं के आगे वाले भाग से शुरू होकर सम्पूर्ण शाखा को चपेट में ले लेता है उसके बाद में पूरा पौधा सूख जाता है।

रोकथाम:-

इसकी रोकथाम के लिए प्रूनिंग के तुरंत बाद ही फफूंदीनाशक का प्रयोग करना चाहिए।

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गुलाब की खेती में कीड़े और उनकी रोकथाम:-

गुलाब की खेती करने में कई प्रकार के कीड़ों का आक्रमण होता है लेकिन यहां पर महत्वपूर्ण कीड़ों की जानकारी दी गई है।

थ्रिप्स कीट:-

यह कीड़ा नवम्बर से लेकर मार्च तक पत्तियों में घाव करकर रस को चूसते हैं।

रोकथाम:-

इनकी रोकथाम के लिए 0.1 प्रतिशत लिंडेन या इमिडाक्लोरपिड 4 से 5 एमएल को 8 से 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

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गुलाब की खेती में क्रंतन:-

मैदानी क्षेत्रों में क्रंतन का समय अक्टूबर का दूसरा सप्ताह सबसे ज्यादा अच्छा रहता है। लेकिन उस समय बारिश नहीं होनी चाहिए।

क्रंतन के उद्देश्य:-

ज्यादा से ज्यादा पैदावार प्राप्त करना।
पौधों को उचित और आकर्षक आकृति देने के लिए।
समय पर Flowering हो, बड़े और सुन्दर फूल उत्पादन के लिए।
नोट:- क्रंतन के बाद कटे हुए भागों पर कॉपर युक्त फंगीसाइड कार्बेंडाजिम का पेस्ट लगाना चाहिए, ताकि पौधों को डाइबैक नामक रोग से बचाया जा सके।

कलियों को तोड़ना:-

बीच की कली को छोड़कर शेष बची हुई कलियों को तोड़ देना चाहिए। ताकि यह कली आकर्षक पुष्प में बदल जाए अन्यथा गुच्छों में उपस्थित कलियों के कारण फूल का आकार छोटा रह जाता है।

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दोस्तों/किसान भाईयों आपने इस लेख में गुलाब की खेती। gulab ki kheti। rose farming। बारे में पूरी जानकारी ली, तो अगर आप ऐसे ही कृषि से सम्बंधित सभी जानकारियां सबसे पहले पाना चाहते हैं तो लाल रंग की घंटी को क्लिक करके सब्सक्राइब करें।

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