प्याज में थ्रिप्स का नियंत्रण। pyaj me thrips ka niyantran। प्याज में झुलसा का नियंत्रण। pyaj me jhulsa ka niyantran। प्याज में पीलापन का नियंत्रण। pyaj me pilapan ka niyantran। आइए जानते हैं।
प्याज की फसल की प्रमुख समस्याएं (pyaz ki fasal ki pramukh samasya):-
किसान भाईयों अधिकतर जगहों पर प्याज की फसल 40 दिन से आगे निकल चुकी है। और इसी कारण से जो आगे आने वाले 20 दिन हैं वो प्याज की फसल के लिए बहुत ही लाभदायक होने वाले हैं। क्योंकि अब आने वाले दिनों में दिन का तापमान लगातार बढ़ता चला जाएगा या कहें की गर्मी बढ़ती चली जाएगी। तो स्वाभाविक सी बात है हमारी प्याज की फसल के लिए कुछ चुनौतियां भी खड़ी हो जाएंगी। आने वाले इन्हीं दिनों में प्याज में थ्रिप्स भी देखने को मिलेंगे। और इसके साथ ही में प्याज की खेती में एक प्रसिद्ध कवक जनित रोग पर्पल ब्लोच की मात्रा बढ़ती चली जाएगी यह बीमारी इन्हीं दिनों आती है जब रात में तापमान दिन की अपेक्षा बहुत कम होता है। तभी हम अपनी प्याज की फसल में अधिकतर झुलसा रोग देखते हैं।
अगर यह पर्पल ब्लोच बीमारी किसी भी खेत में एक बार प्रवेश कर जाती है तो उसे काबू करना बहुत मुश्किल होता है। और इन्हीं दिनों में हमें अपने प्याज की ग्रोथ भी करानी होती है क्योंकि आने वाले 20 दिनों में कुछ कुछ सर्दी होगी लेकिन उसके बाद तापमान अचानक से बदलने लगेगा या यूं कहें कि बढ़ने लगेगा।
तो इसी कारण से यह 20 दिन इतने महत्वपूर्ण हैं कि हमको अपनी प्याज की फसल की सुरक्षा करनी है।
साथ ही साथ किसान भाईयों इन्हीं 15 से 20 दिनों में एक सिंचाई का भी महत्व बढ़ जाता है। जहां तक हम अभी सर्दियों में प्याज में सिंचाई लगभग 10 से 15 दिनों के बीच कर रहे होते हैं वहीं अब प्याज की लगातार ग्रोथ होने के कारण हमें प्याज में जल्दी जल्दी सिंचाई की भी जरूरत होगी। तो इन्हीं सब प्याज की महत्त्वपूर्ण जानकारियों के साथ हम लाए हैं कुछ प्याज में होने वाली समस्यायों का निवारण।
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प्याज में होने वाली समस्यायों का निवारण (pyaz me hone wali samasya ka nivaran):-
तो किसानों भाइयों अब बात करते हैं कि जब हमारी प्याज की फसल 40 से 50 दिन की हो जाती है। या फसल 40 से 60 दिन की हो या 50 से 70 दिन की हो। सबसे पहले सबसे महत्त्वपूर्ण काम यह करना होता है कि अगर हमारे प्याज के खेत में खरपतवारनाशी का उपयोग कर रखा हो तो बहुत अच्छी बात है अगर फिर भी कुछ खरपतवार आपके खेतों में दिखाई पड़ रहे हों तो उन्हें हांथ से निकाल देना चाहिए। क्योंकि अगर खेतों में खरपतवार रहेंगे तो खेतों में थ्रिप्स, माहू, तेला आदि का प्रकोप बहुत अधिक बढ़ जाता है। साथ ही साथ जब आपकी फसल 40 दिन या उससे अधिक की हो गई हो तो हमें अपनी फसल में निकाई गुड़ाई जरूर कराना चाहिए। क्योंकि जो आपके खेत की ऊपरी परत सख्त हो गई होगी वह गुड़ाई करने पर टूट जायेगी और हवा का संचार बढ़ जायेगा और इस कारण से प्याज की जड़ों का विकास बहुत अच्छा होगा।
प्याज की फसल में गुड़ाई का महत्व (pyaz ki fasal me gudai ka mahatva):-
अब किसान भाईयों बढ़ते हैं अगले बिंदु पर अधिकतर किसान भाईयों की प्याज की फसल में पीलापन बढ़ रहा होगा पीलापन को बिना खाद डाले भी हरापन में बदला जा सकता है अगर आप अपने खेतों में गुड़ाई कर देते हैं और उसको 2 से 4 दिन तक बिना सिंचाई किए ही छोड़ देते हैं तो जो अधिक मात्रा में कवक के रुप में आपके खेतों में नमी जमा हुई है वह सूर्य के प्रकाश पड़ने के कारण सूख जाएगी और इस कारण से आपकी फसल धीमे धीमे रिकवर होती चली जाएगी।
जब हमारी फसल 40 से 50 दिनों की हो जाती है तब भी हमें अपनी फसल में फर्टिलाइजर का प्रयोग करना पड़ता है क्योंकि जब हम कोई भी खाद/उर्वरक अपनी फसल में डालते हैं तो उसका असर लगभग 20 दिनों तक रहता है। और उसके बाद उर्वरकों का असर फसल में धीमे धीमे कम होने लगता है। तो जब प्याज की फसल वेजीटेबल ग्रोथ पर होती है तो इस अवस्था में पौधे को सबसे ज्यादा नाइट्रोजन की जरुरत पड़ती है।
तो आपको अमोनियम सल्फेट लगभग 30 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से डालना चाहिए। क्योंकि अमोनियम सल्फेट के प्रयोग से खेत में नाइट्रोजन तथा सल्फर की मात्रा भी पहुंच जाती है। और इसके साथ ही आपको म्यूरेट ऑफ पोटाश लगभग 25 से 30 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से डालनी चाहिए।
यह सभी क्रियायों को करने के बाद में अगर आपने खेत में गुड़ाई कर रखी है तो 5 किलोग्राम प्रति एकड़ कार्टेप हाइड्रोक्लोराइड डालिए क्योंकि इसके प्रयोग यह भूमि के अंदर की समस्यायों जैसे की जड़ों की समस्यायों को खत्म करेगा। लेकिन अगर आपने अपने खेत में गुड़ाई नहीं करी है तो आप 1 लीटर प्रति एकड़ क्लोरोपाइरीफोस का प्रयोग कर सकते हैं। लेकिन अगर आपने अपनी फसल की 30 दिनों की अवस्था में क्लोरोपाइरीफोस डाला था तो आप इस समय इसकी मात्रा आधा लीटर प्रति एकड़ भी ले सकते हैं। यह सब मिलाकर आप अपने खेतों में डाल दीजिए और इसके बाद सींचाईं कर दीजिए (अगर सिंचाई की जरुरत हो)।
क्योंकि अगर आपके खेत में नमी है और तब भी आपने सिंचाई कर दी तो फसल पीली पड़ जायेगी और आपकी फसल में बीमारियां बढ़ जाएंगी। और वहीं दूसरी ओर अगर आपके खेत सूखे पड़े रहे। तो खेतों में थ्रिप्स का प्रयोग बढ़ जाएगा। और आपकी फसल खराब हो जायेगी। तो जब आपके खेत की मिट्टी की परत सफेद हो जाए तो आपको सिंचाई कर देनी चाहिए।
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प्याज की खेती में कौन सी खाद डालें/रसायन डालें।
यह सभी क्रियाएं करने के 2 से 3 दिनों बाद आपको अपने खेत में एक इंसेक्टीसाइड और एक फंगीसाइड का स्प्रे प्रयोग करना चाहिए क्योंकि अगर इस अवस्था में प्याज की फसल में थ्रिप्स का प्रकोप बढ़ गया तो फिर इसका कंट्रोल बहुत मुश्किल हो जायेगा। इसलिए आपको थ्रिप्स के प्रकोप से बचने के लिए इंसेक्टीसाइड का प्रयोग 10 से 12 दिनों के अंतर पर करते रहना चाहिए। तो इस अवस्था के अंदर आपको पॉलिट्रिन या प्रोफेक्स सुपर का प्रयोग करने से अच्छे परिणाम मिलते हैं और इसी के साथ आपको टाटा ASATAF का प्रयोग करना चाहिए। और फंगिसाइड के रूप में रबी में प्याज की फसल के लिए पर्पल ब्लॉस्पर और थायफिनाईड मिथाइल (ROKO) का प्रयोग कर सकते हैं। इस स्प्रे को करने के बाद में जब आप दूसरी स्प्रे करें तो आप कुछ बदलाव करके insecticide लैंबडा (Karate) के साथ kavach का प्रयोग कर सकते हैं।
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