masrum ki kheti kaise kare

masrum ki kheti kaise kare। mushroom ki kheti kaise karen। मशरूम की खेती

आज के इस ब्लॉग पोस्ट में masrum ki kheti kaise kare या mushroom ki kheti kaise karen या mushroom ki kheti या मशरूम की खेती के बारे में जानेंगे।

मशरूम एक प्रकार का कवक होता है जिसको कि हम सब सभी के रुप में प्रयोग करते हैं। यह बहुत पौष्टिक भोजन होता है।

मशरूम की खेती के लिए जलवायु (mushroom ki kheti ke liye jalvayu):-

मशरूम की खेती के लिए सूर्य के प्रकाश, बारिश के पानी और तेज हवा के झोकों से बचाव होना जरूरी है और मशरूम की खेती के लिए कुछ विशेष तापमान, नमी, कवकजाल (बीज) या स्पॉन की जरूरत होती है और इन सब के अलावा खुली हवा का होना भी जरूरी होता है।

मशरूम की किस्में (mushroom ki kisme):-

भारत की जलवायु के हिसाब से मशरूम की निम्नलिखित किस्में उगाई जाती हैं।

बटन मशरूम या फील्ड मशरूम (button mushroom ya field mushroom):-

बटन मशरूम भारत में मुख्य रूप से उगाई जाती है क्योंकि button mushroom भारत में बहुत लोकप्रिय मानी जाती है button mushroom को सर्दी के मौसम में धान के पुआल या गेहूं के भूसे की compost पर 85 से 90 प्रतिशत नमी और 15 से 25 सेल्सियस तापमान पर पैदा किया जा सकता है।

पैडी स्ट्रा मशरूम (paddy straw mushroom):-

paddy straw mushroom को गर्मियों में धान के पुआल पर 30 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान पर और 80 प्रतिशत नमी में बहुत ही अच्छी तरह उगाया जा सकता है।

ढींगरी मशरूम (dhingri mushroom):-

ढींगरी मशरूम को सर्दियों के मौसम (सितंबर-मार्च) में 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान पर और 80 से 90 प्रतिशत नमी में धान के पुआल पर उगाया जा सकता है।

ऊपर दी गई तीनों किस्मों में button mushroom ki kheti सबसे ज्यादा की जाती है भारतीय बाज़ार में button mushroom प्रजाति की मांग भी बहुत है कमाई के हिसाब से भी button mushroom ki kheti सबसे अच्छी मानी जाती है।

इन सबके अलावा मशरूम की ए•पी•के-2, कैटरली, ट्रमोरल, आयस्टर मशरूम, जायंट पकबाल आदि mushroom की जातियां हैं।

बटन मशरूम की खेती (button mushroom ki kheti):-

बटन मशरूम (button mushroom) को देश के पर्वतीय भागों में वर्षभर उगाया जा सकता है देश के मैदानी इलाकों में button mushroom ki kheti सर्दियों में 15 सितंबर से 15 मार्च तक, जबकि कमरे का तापमान 20 से 25 डिग्री सेल्सियस के मध्य हो, तो की जा सकती है। button mushroom की पर्वतीय इलाकों में 2 से 5 फसलें और मैदानी इलाकों में 1 से 2 फसलें ली जा सकती हैं बटन मशरूम को उगाने ले लिए मुख्य रूप से बनी हुई कम्पोस्ट की जरूरत होती है जिसे गेहूं के भूसे या धान के पुआल में रासायनिक उर्वरकों के मिश्रण के द्वारा बनाया जा सकता है।

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मशरूम की खेती के लिए भूमि (mushroom ki kheti ke liye bhumi):-

मशरूम की खेती (mushroom ki kheti) के लिए भूमि की जरूरत नहीं होती है मशरूम की खेती साधारण कमरे में, ग्रीन हाउस, गैराज और बंद बरामदों में सफलतापूर्वक की जा सकती है लेकिन व्यापारिक रूप से इसके उत्पादन के लिए विशेष तौर पर निर्मित उत्पादन कक्ष ज्यादा लाभकारी होता है।

मशरूम की खेती (mushroom ki kheti) गांव, कस्बों और शहरों में कहीं भी की जा सकती है। गांवों में किसान भाई अन्य फसल पद्धति के साथ में मशरूम की खेती करके ज्यादा आमदनी प्राप्त कर सकते हैं कस्बों और शहरों में जिनके पास कमरा, बरामदा या गैराज आदि है वो लोग भी मशरूम को अपने यहां उगा सकते हैं व्यवसायिक रूप से मैदानी इलाकों में मशरूम का उत्पादन करने के लिए वातानुकूलित मशरूम-गृह बनाकर मशरूम की खेती आसानी से की जा सकती है।

मशरूम की खेती के लिए कम्पोस्ट बनाने की विधि (mushroom ki kheti ke liye compost banane ki vidhi):-

मशरूम को उगाने के लिए विशेष प्रकार की कम्पोस्ट की जरूरत होती है कम्पोस्ट बनाने के लिए साफ और पक्के फर्श की जरूरत होती है फर्श खुली हवा में या किसी बंद कमरे अथवा बरामदे का भी हो सकता है। खुली हवा में कम्पोस्ट बनाने पर इसका बारिश से बचाव बहुत जरूरी होता है जबकि बंद कमरे या बरामदे में बनाने पर अच्छी हवा का संचार होना जरूरी होता है कम्पोस्ट बनाने में प्रयोग किया जाने वाला भूसा या पुआल 15 महीने से ज्यादा पुराना नहीं होना चाहिए और लंबाई 2 से 4 सेमी• होनी चाहिए।

मशरूम के लिए कम्पोस्ट बनाने के लिए नीचे दी गई सामग्री की जरूरत होती है।

गेंहू का भूसा या धान का पुआल: 300 किलोग्राम या 400 किलोग्राम

कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट (अमोनियम सल्फेट): 09 किलोग्राम

पोटेशियम सल्फेट (म्यूरेट ऑफ पोटाश): 03 किलोग्राम

सुपर फॉस्फेट: 03 किलोग्राम

यूरिया: 03 किलोग्राम

जिप्सम: 30 किलोग्राम

गेंहू का चोकर: 10 किलोग्राम

शीरा: 05 लीटर

बी•एच•सी• 10% या लिंडेन धूल 5%: 250 ग्राम

जिंक सल्फेट: 100 ग्राम

लकड़ी का बुरादा: 30 ग्राम

ऊपर दी गई सामग्री से निम्न प्रकार कंपोस्ट तैयार करते हैं।

उर्वरक मिश्रण तैयार करना (urvarak mishran taiyar karna):-

भूसे को 24 घंटे तक रुक रुक कर पानी का छिड़काव करके गीला करके ढेरी बनाने से 12 से 15 घंटे पहले, चोकर और शीरा मिला देते हैं और ऊपर से गीली बोरी से ढक देते हैं इस समय जिप्सम तथा बी•एच•सी नहीं मिलानी चाहिए सभी उर्वरक चोकर में अवशोषित हो जाते हैं और एक उपयुक्त मिश्रण तैयार हो जाता है।

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ढेर बनाना (dher banana):-

गीले किए गए भूसे में उर्वरक मिश्रण मिलाकर 5 फीट चौड़ा, 5 फीट ऊंचा, लंबाई जरूरत के हिसाब से ढेर बनाते हैं यह ढेर 5 दिनों तक खड़ा रखते हैं नमी कम होने पर समय समय पर पानी का छिड़काव करते हैं सूक्ष्म जीवों द्वारा किण्वन की प्रक्रिया के कारण चौथे-पांचवें दिन तापमान बढ़कर 70°F से अधिक हो जाता है।

पलटाई (paltai):-

ढेर की पहली पलटाई छटवें दिन करते हैं पलटाई करने में प्रत्येक हिस्से को उलट पलट देना चाहिए और नमी कम होने पर पानी का छिड़काव करना चाहिए।

इसके बाद में 3 दिन के अंतर से दूसरी, तीसरी, चौथी, पांचवीं, छटवीं पलटाइयां ढेरों की करते रहते हैं सातवीं पलटाई 25वें दिन करके बी•एच•सी व जिप्सम मिलाकर नई ढेरी बनानी चाहिए अंत में आठवीं पलटाई 28वें दिन करके अमोनिया गैस तथा नमी का परीक्षण करते हैं खाद में 68 से 70 प्रतिशत नमी होनी चाहिए अमोनिया गंध होने पर एक दो पलटाई और कर देते हैं।

बीजाणु करना (bijanu karna):-

ऊपर दी गई विधि से तैयार खाद में मशरूम का बीज मिलाते हैं 100 किलोग्राम खाद में 500 से 750 ग्राम कवक जाल (मशरूम बीज) मिला देते हैं।

10 से 12 किलोग्राम बीजित खाद को पॉलीथिन के थैलों में भरकर मुंह मोड़ कर बंद कर देते हैं और फार्मलिन से उपचारित कमरे में बांस के चौखटों पर रख देते हैं कमरे में 22 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान, 80 से 90 प्रतिशत नमी बनाए रखनी चाहिए। पानी के छिड़काव द्वारा नमी को बढ़ाया जाता है।

केसिंग या आवरण (kesing ya avaran):-

कवक जाल युक्त खाद को एक विशेष तरह के केसिंग मिश्रण से ढकना पड़ता है तभी मशरूम निकालना शुरू होता है केसिंग परत चढ़ाने से मशरूम कलिकाओं को नमी, पोषक तत्व और सहारा मिलता है।

केसिंग मिश्रण एक तरह की मिट्टी होती है जिसे निम्न तरीके से तैयार किया जाता है।

  • चार भाग दोमट मिट्टी और एक भाग रेत
  • दो भाग पुरानी गोबर की खाद व दोमट मिट्टी (बराबर मात्रा में)

ऊपर दिए गए तरीकों में से कोई एक केसिंग मिश्रण तैयार करके फार्मेलीन के 4% घोल से उपचारित करके थैलों की पॉलीथिन हटाकर केसिंग मिश्रण की परत चढ़ाते हैं।

हर रोज थैलों में नमी का जायजा लेना चाहिए केसिंग (आवरण) करने के एक सप्ताह बाद जब कवक जाल खाद से केसिंग परत में फैल जाए तब कमरे का तापमान 22-25 डिग्री सेल्सियस से कम करके 14-18 डिग्री सेल्सियस पर ले जाना चाहिए इस तापमान को पूरे उत्पादन काल तक बनाए रखना चाहिए। इस तापमान पर छोटी छोटी खुंभ कलिकाएं बनना शुरू हो जाती हैं जो जल्दी ही परिपक्व खुम्भ में बदल जाती हैं तापमान नमी के अलावा वायु के आवागमन का प्रबंध होना जरूरी होता है।

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मशरूम की तुड़ाई या चुनाई (mushroom ki tudai ya chunai):-

मशरूम कलिकाएं बनने के 2-4 दिन बाद ये मशरूम कलिकाएं विकसित होकर बड़े मशरूम में बदल जाती हैं जब मशरूम का आकार 3-4 सेमी• हो परंतु टोपी बंद हो (छयक न बना हो) तो इन्हें परिपक्व समझकर उनको तने सहित अंगुलियों के सहारे ऐंठकर निकाल लिया जाता है। 100 किलोग्राम कंपोस्ट से 2 महीने के अंदर 10 से 12 किलो मशरूम आसानी से मिल जाता है।

यह ध्यान में रखना चाहिए कि मशरूम तुड़ाई से पहले मशरूम में छिड़काव द्वारा सिंचाई हल्की और जल्दी जल्दी की जानी चाहिए नहीं तो मशरूम कड़ी हो जाती है।

मशरूम की देखभाल (mushroom ki dekhbhal):-

मशरूम की तुड़ाई के समय यदि उसका नीचे का भाग टूट जाता है तो उसे निकाल देना चाहिए क्योंकि उसमें सड़न होने का डर बना रहता है। और मशरूम तुड़ाई के बाद पेटियों के गड्ढे बन जाते हैं उन्हें आवरण मिट्टी से ढक दिया जाता है। तथा मशरूम को कीड़ों के प्रकोप से बचाने के लिए मैलाथियान को पानी में मिलाकर बुवाई के दो दिन बाद व आवरण मिट्टी के दो दिन पहले छिड़काव करना चाहिए। (आवरण मिट्टी: जिस पदार्थ द्वारा कंपोस्ट पर उत्पन्न फफूंदी को ढका जाता है उसे आवरण मिट्टी कहते हैं)। बीमारियों के बचाव के लिए 0.05% बाविस्टिन छिड़काव करना लाभकारी होता है।

भारत में मशरूम की खेती (mushroom farming in india):-

भारत में मशरूम की खेती (mushroom farming in india) व्यापारिक स्तर पर हिमाचल प्रदेश और कश्मीर में शुरू की गई थी किंतु पिछले 7 से 8 सालों में इसे व्यापारिक स्तर पर अनेक पर्वतीय और मैदानी इलाकों में शुरू कर दिया गया है अब इसकी खेती दिल्ली के पास उत्तर प्रदेश और हरियाणा में बड़े पैमाने पर की जा रही है।

विदेशों में मशरूम की खेती (mushroom cultivation) मुख्य रूप से अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस, चीन, जापान, आदि देशों में की जा रही है।

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इस ब्लॉग पोस्ट में हम masrum ki kheti kaise kare या mushroom ki kheti kaise karen या mushroom ki kheti या मशरूम की खेती आदि के बारे में पूरी जानकारी समझी है।

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