हींग, मैगसल्फ, जिंजर और खड़िया का पशु चिकित्सा में प्रयोग। heeng, maigsulf, ginger aur khadiya ka pashu chikitsa me prayog।

हींग, मैगसल्फ, अदरक और फिटकरी का पशु चिकित्सा में उपयोग क्या है?, आज इस लेख में हम यही जानेंगे।

हींग का पशु चिकित्सा में प्रयोग:-

यह फैरूलाफीटीडा नामक पौधे के भूमिगत तनों और जड़ों पर चीरा लगाकर मिला हुआ गोंद होता है यह गोल या चपटे डलों के रूप में पाया जाता है जो कि हल्के भूरे रंग का होता है इसमें भारी गंध होती है और स्वाद में कड़वा होता है यह पानी में घुलनशील होता है और इसका घोल सफेद दूधिया रंग का होता है बड़े पशुओं में इसकी मात्रा 15 से 30 ग्राम है।

क्रिया:-

ऊपरी भाग में एसाफीटीडा उत्तेजक, पूतिरोधी, गन्धहारक और घावों के लिए उद्दीपक है।
भीतरी उपयोग में यह स्टीम्यूलैंट, कार्मीनेटिव और एक्सपैक्टोरेंट है।

उपयोग:-

टिंक्चर के रूप में:-

एसाफीटीडा का 20 प्रतिशत का घोल टिंक्चर घावों के लिए उपयोग किया जाता है।

घोड़ों के कालिक दर्द में जोकि वायु के प्रकोप से होता है और पशुओं के अफारा के उपचार के लिए आगे दिया गया कार्मीनेटिव मिक्चर दिया जाता है।
हींग
सोंठ प्रत्येक 7.0 ग्राम
तम्बाकू
काला नमक
डिस्टिल्ड वाटर 2 पिंट 1.136 लीटर

पुराने फुफ्फुस प्रवाह में:-

एसाफीटीडा
एमनक्लोर प्रत्येक 7.0 ग्राम
कैम्फर
लिकोरिस

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मैगसल्फ का पशु चिकित्सा में प्रयोग:-

मैग्नीशियम कार्बोनेट पर गंधक के अम्ल की क्रिया द्वारा मैगसल्फ प्राप्त किया जाता है। यह एक रंगहीन और गंधहीन पदार्थ है जो कि रवों के रूप में मिलता है। यह स्वाद में ठंडा, नमकीन तथा कड़वा होता है। गर्म, शुष्क वायु में रखे जाने पर यह अपनी नमी खो देता है।
यह पानी में अपने से 3/2 मात्रा में घुलनशील होता है, 90 प्रतिशत अल्कोहल में भी थोड़ा-थोड़ा घुलनशील होता है।

क्रिया:-

यह परगेटिव, ऑल्टरेटिव तथा फैब्रीफ्यूज है।

उपयोग:-

पेट की सफाई के लिए मैगसल्फ को परगेटिव रूप में उपयोग किया जाता है बुखार का ताप कम करने के लिए भी मैगसल्फ का उपयोग किया जाता है।

मात्रा:-

परगेटिव रूप में:-

कैटल के लिए – 225 ग्राम से लेकर 338 ग्राम
कुत्तों के लिए – 3.55 ग्राम से लेकर 10.65 ग्राम

बुखार में:-

घोड़ा तथा कैटल के लिए – 28 से 56 ग्राम
कुत्तों के लिए – 1 ग्राम

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जिंजर का पशु चिकित्सा में प्रयोग:-

सूखे जिंजर को सोंठ तथा हरे जिंजर को अदरक कहते हैं यह अदरक के पौधे का भूमिगत तना होता है अधिकतर सोंठ का उपयोग पाउडर के रूप में होता है।

क्रिया:-

जिंजर स्टिम्यूलैंट, सिआलैगोग, स्टोमैकिक और कामीनेटिव है।

उपयोग:-

500 भाग जिंजर को 1000 भाग 90% अल्कोहल में मिला देने पर जिंजर का टिंक्चर तैयार हो जाता है। जिंजर आमाशय, जिगर और पाचनशक्ति को बल देता है। यह भूख को बढ़ाता है, पेट की वायु को बाहर निकालता है और उत्तेजना उत्पन्न करता है दस्त कराने वाली दवाओं के साथ भी जिंजर का उपयोग किया जाता है।

मात्रा:-

घोड़ों के लिए – 14 ग्राम से लेकर 28 ग्राम तक
कैटल के लिए – 28 ग्राम से लेकर 56 ग्राम तक
कुत्तों के लिए – 1 ग्राम

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खड़िया का पशु चिकित्सा में प्रयोग:-

खड़िया सफेद पदार्थ है और कैल्शियम का स्रोत है।

उपयोग:-

खड़िया को पशुओं को खनिज पदार्थ के रूप में कैल्शियम की आपूर्ति के लिए दिया जाता है।

पेचिस और दस्तों में-

खड़िया – 50 ग्राम
कत्था – 10 ग्राम
सोंठ – 20 ग्राम

ऊपर दी गई मात्राएं पीसकर चावल के मांड में दो बार देनी चाहिए।

मात्रा:-

50 ग्राम प्रति पशु प्रतिदिन।

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नोट:- किसी भी दवा या औषधि का प्रयोग करने से पूर्व किसी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें.

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