कम्पोस्ट खाद बनाने की बंगलौर विधि (Compost khad banane ki bangalore vidhi) आदि के बारे में जानकारी.
किसान मित्रों कम्पोस्ट खाद भाग 1 में हमनें कम्पोस्ट खाद बनाने के साधन और कंपोस्ट खाद बनाने का स्थान के बारे में जानकारी हासिल की इसके बाद अब हम कम्पोस्ट खाद भाग 2 में आ गए हैं जिसमें हम कंपोस्ट खाद बनाने की बंगलौर विधि के बारे में जानकारी हासिल करेंगे अगर आपने कम्पोस्ट खाद भाग 1 नहीं पढ़ा है तो उसे पढ़ने के बाद ही यह भाग पढ़ें.
कम्पोस्ट खाद बनाने की बंगलौर विधि
कम्पोस्ट खाद बनाने की इस विधि में सबसे पहले 4 मीटर लंबे, 2.5 मीटर चौड़े और लगभग 1.25 मीटर गहरे गड्ढे बनाने चाहिए इसके बाद में इन्हीं तैयार हुए गढ्ढों में सूखी पत्तियां, फूंस और खरपतवार आदि की करीब 15 सेमी• मोटी परत लगानी चाहिए और साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि जो मोटी मोटी जड़ें हों, सूखे सख्त तने हों, टहनियां हों उन्हें गड्ढे में डालने से पहले गलाकर कुचल लेना चाहिए इसके बाद में इसके ऊपर गोबर और मूत्र की मिट्टी और थोड़ी पुरानी खाद और राख आदि डालनी चाहिए.
इसके बाद में इस परत को पानी से खूब तर कर देना चाहिए और फिर बाद में इसके ऊपर दोबारा कचरे और घास फूस की 7.5 सेमी• मोटी परत लगाकर फिर से एक पतली परत गोबर, मूत्र युक्त मिट्टी और राख आदि डालनी चाहिए और इस परत को भी पानी से तर कर देना चाहिए इस तरह तब तक परतें लगाते रहना चाहिए जब तक कि गढ्ढे भर न जाएं हर बार परत को पहली परत के समांतर कर देना चाहिए और जब गड्ढा भर जाए तो उसके ऊपर 25 सेमी• मिट्टी डालकर ऊपर से लिपाई कर देनी चाहिए यह परत धूप और पानी को गड्ढे में जाने से रोकती है और इसके साथ ही साथ अमोनिया गैस को भी अपने अंदर सोख लेती है और इस तरह यह मिट्टी भी खाद का रूप ले लेती है.
यह कंपोस्ट खाद लगभग 4 से 5 महीने में तैयार हो जाती है और हर एक गड्ढे में लगभग 38 क्विंटल कंपोस्ट खाद बनती है यह विधि केवल सर्दी और गर्मी के मौसम में ही अपनाई जाती है.
वर्षा ऋतु में कम्पोस्ट खाद बनाने की बंगलौर विधि
किसान मित्रों जैसा कि हमने जाना कि ऊपर दी गई कम्पोस्ट खाद बनाने की बंगलौर विधि को केवल सर्दी और गर्मी के मौसम में ही अपना सकते हैं तो अब हम बारिश के मौसम में कम्पोस्ट खाद बनाने की बंगलौर विधि के बारे में विस्तार से जानकारी हासिल करेंगे इसलिए इस पोस्ट को अंत तक जरुर पढ़ें.
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वर्षा ऋतु से पहले गर्मियों में इकठ्ठा किए हुए कूड़े के ढेर में 4 से 5 टोकरे भर कर पशुओं के नीचे बिछाना चाहिए दूसरे दिन मूत्र युक्त इस बिछाली पर एक टोकरी मूत्र युक्त मिट्टी और दो पलड़े राख छिड़ककर फिर सारे कचरे को ले जाकर ऐसी जगह एक सिल्ली के रुप में रख देना चाहिए जहां बारिश का पानी न रुकता हो बारिश के पहले ऐसी दो सिल्ली तैयार की जानी चाहिए ऐसी सिल्ली 4 मीटर लंबी, 2.5 मीटर चौड़ी और 1 मीटर ऊंचाई की होनी चाहिए इन सिल्लियों को एक एक महीने के अन्तर से वर्षा ऋतु में तीन बार पलटना चाहिए पहली पलटाई जुलाई के आरंभ में करके 250 ग्राम सनई का बीज सिल्ली के ऊपर ही बो देना चाहिए.
अगस्त के आरंभ में सनई के पौधे समेत दूसरी पलटाई करनी चाहिए सितंबर के शुरुआत में ही अंतिम कटाई करके सिल्ली को छोड़ देना चाहिए यह बनी हुई कम्पोस्ट खाद अक्टूबर में इस योग्य हो जाती है कि खेत में डाली जा सके. इस विधि में खाद प्रायः चार महीने में तैयार हो जाती है लगभग तीन गाड़ी कूड़े कचरे से एक गाड़ी कम्पोस्ट खाद निकलती है.
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उम्मीद है आपको हमारे द्वारा दी गई कम्पोस्ट खाद भाग 2: कम्पोस्ट खाद बनाने की बंगलौर विधि की जानकारी पसन्द आई होगी ऐसी ही और भी नई नई जानकारियां सबसे पहले पाने के लिए और कम्पोस्ट खाद भाग 3: कम्पोस्ट खाद बनाने की नाडेप या आधुनिक विधि की जानकारी सबसे पहले पाने के लिए नीचे दी गई लाल रंग की घंटी को क्लिक करके सब्सक्राइब करें.
कम्पोस्ट खाद भाग 3: कम्पोस्ट खाद बनाने की नाडेप या आधुनिक विधि
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