Aam Ki Kheti

लाखों की कमाई वाली आम की खेती। Aam Ki Kheti की पूरी जानकारी

मित्रों हम और आप यह जानते ही हैं कि पूरी दुनिया में फलों को बहुत पसंद किया जाता है और फलों में आम कितना प्रसिद्ध है यह किसी को भी बताने की जरूरत नहीं है और इसी वजह से अब आम को बस कहीं कहीं पर ही न उगाकर लोग आम की खेती करने की सोचते हैं और जो लोग Aam Ki Kheti करते हैं वो अच्छा मुनाफा भी कमाते हैं तो जिस चीज की खेती करके लोग कई लाख रुपए कमा रहे हैं तो आप उनसे पीछे क्यों रह जाएं इसलिए Krishakjan लाया है आम की खेती करने के बारे में हर एक जानकारी; इसलिए इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ें.

Aam Ki Kheti

आम की खेती के लिए उचित जलवायु

जिन स्थानों में अधिक समय तक पाला नहीं पड़ता है, मौसम शुष्क रहता है और फलों के पकते समय अधिक गर्मी पड़ती है ऐसे स्थानों पर आम की खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है. आम के पेड़ ऐसे स्थानों पर अच्छी तरह फलते फूलते हैं जहां पर शीत ऋतु में तापमान 4 से 5 डिग्री सेल्सियस से नीचे नहीं जाता और ग्रीष्म ऋतु में 44 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं पहुंचता है.

आम की खेती के लिए भूमि

आम को लगभग सभी तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है परंतु अच्छी बढ़वार और फसल के लिए दोमट मिट्टी अच्छी रहती है, जिसकी निचली सतह पर कठोर परत न हो.

आम की उन्नत किस्में

आम की उन्नत किस्मों पर ही आम के पेड़ का भविष्य निर्भर होता है इसलिए बहुत ही सोच विचार कर अपने एरिया के अनुकूल ही आम की किस्म का चुनाव करना चाहिए हम कुछ उन्नत किस्मों की लिस्ट आगे दे रहे हैं.

  • आम्रपाली
  • मल्लिका
  • सिंधु
  • मधुलिका
  • दशहरी
  • लंगड़ा
  • अल्फांसो
  • चौसा
  • नीलम

आम में प्रवर्धन

आम में प्रवर्धन मुख्य रूप से दो विधियों के द्वारा किया जाता है एक तो बीज के द्वारा, और दूसरा है वानस्पतिक भागों द्वारा; लेकिन वानस्पतिक भागों के द्वारा आम में किया गया प्रवर्धन ज्यादा लाभकारी होता है पादप प्रवर्धन के लिए भेंट कलम और विनियर भेंट कलम ही मुख्य हैं अगर आपको “वानस्पतिक भागों द्वारा प्रवर्धन” के बारे में पूरी जानकारी चाहिए तो हमें कॉमेंट के माध्यम से जरुर पूछें.

आम में पौध लगाना

आम के पौधे लगाने का उचित समय जुलाई से अगस्त तक है ऐसे क्षेत्रों में जहां सिंचाई की सुविधा हो वहां पर पौधे मार्च में भी लगाए जा सकते हैं और जिन स्थानों में वर्षा अधिक होती है रोपण का कार्य बरसात के अंत में करते हैं. बाग में पौधे से पौधे की दूरी किस्म व जलवायु पर निर्भर करती है.

यह भी पढ़ें: पपीता की खेती। Papita Ki Kheti की पूरी जानकारी

बीजू पौधों को कलमी पौधों से अपेक्षाकृत अधिक दूरी पर लगाते हैं बीजू पौधों को 15×15 मीटर तक की दूरी पर लगाना चाहिए जो किस्में अधिक फैलने वाली होती हैं उन्हें अधिक स्थान की जरूरत होती है उदाहरण के लिए; लंगड़ा और चौसा जैसी किस्मों को 10×10 मीटर तक लगाना ठीक रहता है. इसी तरह दशहरी, बस्ती -5 के लिए 9×9 मीटर की दूरी ठीक रहती है. आम्रपाली को 2.5×2.5 मीटर की दूरी पर लगाने के लिए संस्तुत किया गया है.

यह भी पढ़ें: Mushroom Farming In India

आम की खेती में सिंचाई

आम की अच्छी फसल लेने के लिए सिंचाई बहुत ही जरुरी है बड़े पेड़ों की सिंचाई दिसंबर – जनवरी में 20 से 25 दिन के अंतर पर कर देनी चाहिए लेकिन इस बात को ध्यान में जरुर रखना चाहिए कि जब पेड़ों पर बौर आ रहा हो तब सिंचाई नहीं करनी चाहिए. इसके बाद मार्च से जून के मध्य तक सिंचाई नियमित रूप से करनी चाहिए तथा ग्रीष्म ऋतु में 12 से 15 दिन के अंतर पर सिंचाई करनी चाहिए आम के बड़े पेड़ों पर सिंचाई कूड विधि से करनी चाहिए ताकि पानी तने के सीधे सम्पर्क में न आ पाए और सिंचाइयों की संख्या भूमि के अनुसार घटाई बढ़ाई जा सकती है.

यह भी पढ़ें: Murrah Buffalo। मुर्रा भैंस के लक्षण, उपयोगिता और पहचान

आम में जुताई – गुड़ाई, कंटाई – छटाई और पाले से रक्षा

वर्षा में कम से कम दो बार जुताई तथा दिसंबर में आम के थालों की सफाई व गुड़ाई अवश्य करनी चाहिए.

आम के छोटे पौधों को आरम्भ से ही कांट छांट कर सुडौल बना लिया जाता है. अक्टूबर – नवंबर में सभी सूखी, बीमार तथा झुकी डालियों को छांट देना चाहिए और पाले से सुरक्षा भी करनी चाहिए.

यह भी पढ़ें: महिलाओं के लिए नई रोशनी योजना के उद्देश्य, लाभ और विशेषताएं

आम में फलन

कलम लगाये हुए आम पांचवें वर्ष अच्छे फल देने लगते हैं बीजू पौधों में 10 से 12 वर्ष बाद फल आने आरंभ होते हैं और आम में फूल 1 वर्ष पुरानी टहनियों की अग्र कलिकाओं पर पैदा होते हैं.

आम के फलों को तोड़ना और आम की पैदावार

अलग अलग किस्मों के अनुसार आम के फल उत्तरी भारत में जून से अगस्त तक पकते हैं आम के पेड़ 5 से 6 वर्ष में फलना आरंभ करते हैं और 15 से 20 वर्ष की आयु में भरपूर फलन देने लगते हैं तथा 50 से 60 वर्ष तक अच्छी पैदावार देते रहते हैं. 05 से 10 वर्ष की आयु पर 50 किलोग्राम, 10 से 15 वर्ष की आयु में 100 किलोग्राम, 15 से 20 वर्ष की आयु में 150 किलोग्राम औसत पैदावार प्रति वृक्ष प्राप्त होती है.

मित्रों उम्मीद है आपको, Krishakjan की यह पोस्ट पसंद आई होगी ऐसी ही और कृषि से संबंधित जानकारियों को सबसे पहले पाने के लिए लाल रंग की घंटी को क्लिक करके सब्सक्राइब करें.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Open chat
1
हैलो
हैलो