Papita Ki Kheti

पपीता की खेती कैसे करें। Papita Ki Kheti Kaise Kare

किसान मित्रों पपीता को फलों में बहुत पसंद किया जाता है और Papita Ki Kheti करना भी ज्यादा मुश्किल नहीं है और यह फल भी जल्दी देने लगता है और अगर बात करें पैसों की तो पपीता को बेचकर आप अच्छी रकम पा सकते हैं.

अगर आपने पपीता की खेती करने का निर्णय कर लिया है तो आपने बिल्कुल सही किया है क्योंकि यह एक फायदे का सौदा है इस पोस्ट में पपीता की खेती के बारे में विधिवत जानकारी प्राप्त करेंगे इसलिए इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ें.

Papita Ki Kheti
Papita Ki Kheti

Papita Ki Kheti के लिए जलवायु

पपीता की खेती ऐसी जगह आसानी से की जा सकती है जहां पर पाले और ज्यादा ठंड का डर न हो. पपीता की बढ़वार के लिए पानी की आवश्यकता बहुत होती है पर पानी खेत में रुकना नहीं चाहिए. जहां पर वर्षा अधिक होती है वहां पर भी पपीता की खेती करने में दिक्कत आती है.

Papita Ki Kheti के लिए भूमि

पपीता की खेती के वह मिट्टी ज्यादा फायदेमंद रहती है जो हल्की उपजाऊ बलुई दोमट या दोमट भूमि हो और पानी के निकलने की अच्छी व्यवस्था हो.

Papita Ki Kheti के लिए उन्नत किस्में

पपीता की खेती करने के लिए उसकी उन्नत किस्मों का होना बहुत ही ज्यादा जरुरी है इसलिए इसकी उन्नत किस्मों की लिस्ट हम आपको आगे दे रहे हैं.

  • सूर्या
  • पूसा जाइंट
  • पूसा नन्हा
  • पूसा मेजेस्टी
  • वॉशिंगन
  • कोयंबटूर 01

Papita Ki Kheti में प्रवर्धन

पपीता मुख्य रूप से बीज से तैयार किया जाता है पौधे तैयार करने के लिए 10-15 सेमी• ऊंचाई की और 1.5 मीटर चौड़ाई की क्यारियां बनानी चाहिए इन क्यारियों में पर्याप्त मात्रा में गोबर की सड़ी हुई खाद डाल कर मिला देनी चाहिए और रोपाई के दो महीने पहले बीजों की बुवाई कर देनी चाहिए.

बोने से पहले बीजों को थायराम (02 ग्राम दवा प्रति किलो बीज) से शोधित कर लेना चाहिए बनी हुई क्यारियों में 15 सेमी• की दूरी पर पंक्तियां बनाकर 1.5 सेमी• की गहराई पर बीजों की बुवाई कर देनी चाहिए अगर आप एक हैक्टेयर के लिए रोपाई करना चाहते हैं तो लगभग 400 ग्राम बीज पर्याप्त रहता है.

यह भी पढ़ें: महिलाओं के लिए नई रोशनी योजना। उद्देश्य, लाभ और विशेषताएं

बीजों को बोने के बाद खाद और मिट्टी के मिक्सचर से ढक देना चाहिए इसके बाद क्यारियों को सूखी घास से ढककर जरूरत के अनुसार पानी दिया जाता है और इस तरह लगभग 10 दिनों के बाद बीज जमना आरंभ हो जाते हैं.

अंकुरण शुरू होने पर घास को क्यारियों से हटा दिया जाता है और जब पौधे 8 से 10 सेमी• के हो जाएं तो उन्हें 0.5 किलोग्राम छमता वाले छेद किए हुए पॉलिथीन के बैगों में मिट्टी और खाद के मिश्रण मिलाकर लगा देते हैं लगाने के बाद सिंचाई कर देते हैं इन थैलों को 3 से 4 दिन छाया में रखने के बाद धूप में रख दें और जरूरत के अनुसार सिंचाई कर दें और लगभग 1 महीने बाद पौधे रोपने योग्य हो जाते हैं.

रोपाई का समय

पपीते के पौधे वर्ष में तीन बार लगाए जा सकते हैं.

  • वर्षा ऋतु के आरंभ में (जून – जुलाई)
  • वर्षा ऋतु के अंत में (सितंबर – अक्टूबर)
  • बसंत ऋतु (फरवरी – मार्च)

रोपाई करने का तरीका

50 × 50 × 50 सेमी• आकार के गड्ढे 2×2 मीटर की दूरी पर जून में खोद लें और हर एक गढ्ढे में 20 किलोग्राम गोबर की सड़ी हुई खाद और 1.25 किलोग्राम हड्डी का चूरा समान मात्रा में मिट्टी में मिलाकर भर दें गड्ढे में 300 ग्राम 10% बी एच सी धूल भी मिला देनी चाहिए. रोपाई के लिए 20-25 सेमी• ऊंचे पौधे अच्छे रहते हैं हर गढ्ढे में 30 सेमी• की दूरी पर 2 पौधे लगाएं और अगर आप पौधे शाम के समय लगाते हैं तो यह अच्छा रहता है.

यह भी पढ़ें: लाखों की कमाई वाली आम की खेती

Papita Ki Kheti के लिए खाद और उर्वरक

पपीता की अधिक उपज लेने के लिए प्रति पेड़ प्रति वर्ष 2 टोकरी गोबर की खाद और 250 ग्राम नाइट्रोजन, 250 ग्राम फास्फोरस व 500 ग्राम पोटाश को 2 महीने के अंतराल पर 6 बार में देना चाहिए.

पपीता में सिंचाई

पौधों को सर्दियों में 10 से 15 दिन व गर्मियों में 6 से 7 दिन के अंतर से पानी देना चाहिए और साथ ही यह ध्यान में रखना चाहिए कि पानी अधिक न लगे व तने के सीधे सम्पर्क में न आए.

पपीता में फलों की छंटाई

पौधों पर फलों की अधिकता से फलों का आकार बहुत छोटा हो जाता है अतः बड़े और सुडौल फल पाने के लिए छोटे अनावश्यक फलों को तोड़ना जरुरी होता है लगभग 50 फल एक पौधा हर साल देता है.

यह भी पढ़ें: आलू की खेती का बिजनेस। पूरी जानकारी

पपीता में फलों की तुड़ाई

जब फलों में पीलापन आना शुरू हो जाए तब उन्हें तोड़ना चाहिए और फलों को कृत्रिम रूप से पकाना लाभकारी होता है यह करने के लिए फलों को बोरों में या कागज में लपेटकर घर में रख दें इस तरह से ये फल 3 से 4 दिनों में पक जायेंगे.

पपीता की उपज

जैसा कि हमनें पहले ही बताया कि पपीते की उपज उसकी किस्म पर निर्भर होती है लेकिन उसके साथ पौधों की आयु, उर्वरक की मात्रा, और सिंचाई के साधनों पर भी निर्भर करती है एक पौधे से 25 से 100 फल तक प्राप्त हो जाते हैं एक फल का वजन लगभग 500 ग्राम से 3 किलो तक होता है.

मित्रों उम्मीद है आपको यह पपीता की खेती (Papita Ki Kheti) की जानकारी पसंद आई होगी. ऐसे ही कृषि से संबंधित और जानकारी पाने के लिए लाल रंग की घंटी को क्लिक करके सब्सक्राइब करें.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Open chat
1
हैलो
हैलो