Aalu ki kheti ka business

आलू की खेती का बिजनेस। Aalu ki kheti ka business। Aalu ki kheti kaise kare।

आलू की खेती का बिजनेस, aalu ki kheti ka business या आलू की खेती कैसे करें, aalu ki kheti kaise kare आदि की जानकारी.

मित्रों वर्ष भर प्राप्त होने वाली सब्जियों में आलू एक प्रमुख स्थान रखता हैं. आलू एक पूर्ण भोजन है. इसमें 18.0% कार्बोहाइड्रेट, 2.0% प्रोटीन, 0.1% वसा, 0.6% खनिज पदार्थ पाया जाता है. इसकी खेती से किसानों को अन्य खाघान्न फसलों की अपेक्षा अधिक आमदनी मिलती है क्योंकि यह कम समय में तैयार होकर प्रति हैक्टेयर अधिक पैदावार देती है. इसलिए किसानों को समय व मांग के अनुसार इस फसल की खेती अवश्य करनी चाहिए और इसकी खेती के बारे में आज इस पोस्ट में सारी जानकारी मिलने वाली है.

आलू की खेती के लिए जलवायु

आलू की खेती के लिए ठण्डी जलवायु की आवश्यकता होती है. क्योंकि आलू ठण्डी जलवायु की फसल है. पौधों की वृद्धि के समय 24 डिग्री सेल्सियस तथा कन्द बनने के समय 17-20 डिग्री सेल्सियस तापमान सही माना जाता है इसकी खेती 120 सेमी० वार्षिक वर्षा वाले स्थानों में आसानी से की जाती है आपको बता दें कि आलू बनने व बढ़ने के लिए लम्बी रातें तथा छोटे चमकीले दिन अच्छे रहते हैं आलू की फसल पर पाले का बुरा प्रभाव पड़ता है वायुमण्डल में लम्बे समय तक बादलों का छाया रहना, अधिक आर्द्रता, कुहरा आदि से आलू में झुलसा रोग लग जाता है जो कि आलू की अच्छी पैदावार लेने के बिल्कुल ही विपरीत है.

आलू की खेती के लिए भूमि

भूमि की बात करें तो आलू के लिये बलुई दोमट या दोमट भूमि अच्छी मानी जाती है जिसमें जल निकास अच्छा हो तथा भूमि उर्वर हो हल्की अम्लीय भूमियों ( pH 6-6.5 ) में आलू की अच्छी उपज मिलती है क्षारीय व भारी भूमियाँ आलू की खेती के लिये अनुपयुक्त होती हैं मतलब यह है कि इन भूमियों में आलू की खेती कभी नहीं करनी चाहिए.

आलू के खेत की तैयारी कैसे करें 

आलू के लिए खेती की तैयारी अच्छी तरह से करना जरूरी होता है क्योंकि इसी पर कन्दों का आकार और उनका विकास निर्भर करता है पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करके बाद की जुताइयाँ देशी हल या हैरो से करके प्रत्येक जुताई के बाद पाटा लगाकर मिट्टी को भुरभुरा बना लेना चाहिए इस समय गोबर की खाद मिला देनी चाहिए अंतिम जुताई के समय लिन्डेन 1.3% @30 किग्रा ० प्रति हैक्टेयर की दर से मिला देनी चाहिये जिससे भूमिगत कीटों; जैसे- दीमक , कुतरा , कुरमुला प्रकोप नहीं होता है.

आलू की खेती के लिए उन्नत किस्में

हम यहां पर आलू की अगेती, मुख्य या मध्यम और पछेती किस्मों के बारे में विस्तार से जानकारी हासिल करेंगे ताकि आपको एक अच्छी किस्म चुनने में कोई कठिनाई न हो.

आलू की अगेती किस्में

यह फसल बुवाई के 80 से 90 दिनों में तैयार हो जाती हैं. इस श्रेणी में प्रमुख किस्में हैं- कुफरी सूर्या, कुफरी अशोका, कुफरी बहार (E.3797), कुफरी अलंकार, कुफरी लवकार (A7416), कुफरी मोती, कुफरी नवताल,(G2524), जे•एच•222 (कुफरी जवाहर), कुफरी पुखराज, अप-टु-डेट आदि.

आलू की मुख्य या मध्य कालिक किस्में

यह फसल बुवाई के 100 से 110 दिनों में तैयार हो जाती हैं इस श्रेणी में प्रमुख किस्में हैं- कुफरी आनन्द, कुफरी बादशाह (J.F.4870), कुफरी शीतमान, कुफरी चमत्कार, कुफरी जीवन, कुफरी कुन्दन, कुफरी शक्ति, कुफरी नव ज्योति, कुफरी चिप्सोना 1, 2, 3 व हिमसोना (पहाड़ी क्षेत्रों के लिए), कुफरी नीलमणि, प्रेसीडेन्ट आदि.

आलू की पछेती किस्में

यह फसल बुवाई के 110 से 120 दिनों में तैयार हो जाती हैं इस श्रेणी में प्रमुख किस्में हैं- कुफरी देवा, कुफरी सिन्दूरी, (C140), कुफरी लालिमा, कु ० नवीन, कु•किसान, कुफरी सतलुज (JI5857), कुफरी बादशाह आदि.

आलू की बुवाई का समय

आलू की बुवाई का समय उसकी किस्म तथा जलवायु पर निर्भर करता है आलू की अगेती बुवाई 25 सितम्बर से 10 अक्टूबर तक की जा सकती है वही मुख्य फसल की बुवाई 15 अक्टूबर से 25 अक्टूबर तक कर सकते है जिन स्थानों पर पाला पड़ने का भय नहीं होता है वहाँ पछेती बुवाई नवम्बर से मध्य दिसम्बर तक की जा सकती है अगर आप आलू की देर से बुवाई करते हैं तो उपज में भारी कमी आ जाती है.

आलू की खेती के लिए बीज दर

आलू की एक हैक्टेयर फसल बोने के लिये लगभग 20-25 क्विटल (2.5-3.0 सेमी० व्यास आकार वाले) समूचे कन्दों की आवश्यकता होती है समूचे कन्द 15 अक्टूबर तक बोने चाहिये इसके पश्चात् आलू को काटकर बोया जा सकता है जब आलू को काटकर बोते हैं तो लगभग 12-15 क्विंटल बीज पर्याप्त रहता है आलू को 45-60 सेमी० की दूरी पर बनी कतारों में बोना चाहिये और कतारों में पौधे से पौधे की दूरी 20-25 सेमी० रखनी चाहिये यदि किसी कारणवश बड़े आकार के आलू बोने पड़ें तो पौधे से पौधे की दूरी बढ़ाकर 30 सेमी० भी कर सकते हैं किसान भाईयों आलू का बीज सदैव रोग रहित व शुद्ध जाति का होना चाहिए.

आलू की खेती के लिए खाद और उर्वरक प्रबंधन

किसान मित्रों किसी भी फसल में खाद और उर्वरक का प्रबंधन मिट्टी परीक्षण के अनुसार ही करना चाहिए. आलू की अच्छी पैदावार के लिए सन्तुलित मात्रा में खाद एवं उर्वरक देना आवश्यक है खेत की जुताई के समय अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद 15 से 30 टन प्रति हेक्टेयर की दर से मिलानी चाहिए.

आलू की बेहतर फसल के लिए प्रति हेक्टेयर 150 से 180 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस और 100 किलोग्राम पोटाश की जरूरत होती है फास्फोरस व पोटाश की पूरी मात्रा और नाइट्रोजन की आधी मात्रा बुवाई के समय ही खेत में डालनी चाहिए बची हुई नाइट्रोजन को मिट्टी चढ़ाते समय खेत में डालते हैं

आलू की खेती में सिंचाई कब करें

मित्रों आलू एक ऐसी फसल है जिसमें सिंचाई की अधिक आवश्यकता पड़ती है पहली सिंचाई आलू जमने के तुरन्त बाद की जाती है यह सिंचाई बुवाई के 25 दिन बाद करें इसके बाद आवश्यकतानुसार 10-15 दिन के अन्तर पर पानी देते रहें सिंचाई करते समय इस बात का ध्यान रखें कि मेंड़ों पर आधे से ऊपर पानी न भरे आलू की फसल में कुल 8-10 सिंचाइयों की आवश्यकता पड़ती है आलू में कन्द बनते समय (Tuberization) बोने के 40-45 दिन बाद सिंचाई जरूर ही करनी चाहिये. खुदाई से 15-20 दिन पहले सिंचाई बन्द कर देनी चाहिये मिट्टी चढ़ाने के बाद सिंचाई करना आवश्यक है.

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आलू की खेती में खरपतवार और उनकी रोकथाम

आलू की फसल में खरपतवारों का नियन्त्रण एवं नमी संरक्षण ही निकाई-गुड़ाई का मुख्य उद्देश्य है आलू के खेत में खरपतवारों जैसे- बथुआ, मोथा, तिपतिया, कृष्णनील को नष्ट करने के लिये पहली निराई खुरपी द्वारा पहली सिंचाई के बाद करनी चाहिये आलू में मिट्टी चढ़ाते समय भी खरपतवार नष्ट हो जाते हैं रासायनिक नियन्त्रण में खरपतवारनाशी रसायन लासो 4-5 लीटर/हैक्टेयर की दर से बुवाई के 2-3 दिन बाद प्रयोग कर सकते हैं सिंकार 70% भी आलू में खरपतवार नियन्त्रण के लिये अच्छी मानी गई है सिंकार 01 किग्रा० प्रति हैक्टेयर की दर से 1000 लीटर पानी में मिलाकर छिड़कने से अधिकांश एक वर्षीय एवं बहुवर्षीय घासें नहीं उगती हैं.

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आलू की खेती के बिजनेस में पैदावार या उपज

आलू की खेती से प्रति हैक्टेयर अगेती व मध्य फसल से 175 से 200 क्विंटल तथा पछेती किस्मों से 300 से 400 क्विंटल पैदावार ली जा सकती है यह पैदावार फसल की किस्म व फसल प्रबंधन पर भी निर्भर करती है.

आलू की खेती का बिजनेस से conclusion

मित्रों आलू की खेती करना एक अच्छा विकल्प है इसकी खेती करने से आप अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं अगर आप ऐसे ही कृषि से संबंधित और भी पोस्ट पाना चाहते हैं तो नीचे दी गई लाल रंग की घंटी को क्लिक करके सब्सक्राइब करें.

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