किसान मित्रों धान की खेती भारत में कई जगह पर की जाती है और धान की अच्छी से अच्छी उपज लेने के लिए हम क्या क्या नहीं करते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ बेसिक चीजों को ही कर के हम धान की अच्छी पैदावार ले सकते हैं उन बेसिक चीजों में एक है धान की पौध तैयार करने की विधि तो आइए हम अपको धान की एक नहीं दो नहीं बल्कि 3 विधियां बताते हैं.
भीगी विधि (Wet method)
मित्रों सबसे पहले आती है भीगी विधि इस विधि के द्वारा पौध तैयार करने के लिये खेत में पानी भरकर दो या तीन बार जुताई करना होता है ताकि मिट्टी लेहयुक्त हो जाये तथा खरपतवार भी नष्ट हो जायें इसके बाद आखिरी जुताई के बाद पाटा लगाकर खेत को समतल कर लिया जाता है एक दिन बाद जब मिट्टी की सतह पर पानी न रहे तब खेत को 1.25 मीटर चौड़ी सुविधाजनक लम्बी क्यारियों में बाँट लेते हैं ताकि बुवाई, निराई और सिंचाई आदि क्रियायें आसानी से की जा सकें बीज दर प्रति 10 वर्ग मीटर–जया, आई० आर०-8 आदि मोटे दाने वाली किस्मों में 800 ग्राम रत्ना, साकेत 4, आई० आर०-24, मनहर, गोबिन्द आदि पतले दानों वाली किस्मों में 600 ग्राम रखना चाहिये.
बोने से पहले प्रति 10 वर्ग मीटर क्षेत्र की दर से 225 ग्राम यूरिया तथा 500 ग्राम सुपर फॉस्फेट अच्छी तरह मिला देना चाहिये और अंकुरित बीजों को समान रूप से बिखेर कर बो देना चाहिये बीज व मृदा द्वारा लगने वाली बीमारियों से बचाव के लिए सियूडोमोनास फ्लोरिसेन्स या ट्राइकोडर्मा की 4 ग्राम मात्रा से प्रति किग्रा० बीज को शोधित करना चाहिए वर्षा के कारण यदि बीज पानी में डूब जायें तथा धूप रहे तो पानी निकाल देना चाहिये क्योंकि यदि आप ऐसा नहीं करेगें तो बीज सड़ जाएगा इसके बाद में आवश्यकतानुसार निराई, सिंचाई, रोगों तथा कीड़ों की रोकथाम, आदि का उचित प्रबन्ध भी करना चाहिये.
शुष्क विधि (Dry method)
अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में शुष्क विधि अपनानी चाहिये यदि लगातार वर्षा होती है तो मध्यम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी यह विधि उपयुक्त है इसमें सबसे पहले खेत को शुष्क अवस्था में तैयार करते हैं और तीन से चार बार जुताई करके मिट्टी भुरभुरी बना लेते हैं खेत को समतल करके भीगी विधि में दिये गये आकार के अनुसार 20 सेमी० ऊँची क्यारियाँ बनानी चाहिये तथा मेड़ की जगह 30 सेमी० चौड़ी नाली बनानी चाहिये इसके बाद में सूखा बीज 10 सेमी की दूरी पर लाइनों में 2 सेमी० गहरा बो देना चाहिये और अगर बात करें बीज और खाद की तो इनकी मात्रा ऊपर दी गई भीगी विधि के अनुसार ही प्रयोग करनी चाहिये.
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डेपोग विधि (Dapog method)
डेपोग विधि फिलीपीन्स में बहुत प्रचलित है इस विधि की विशेषता यह है कि इसमें पौध को बिना मिट्टी के माध्यम से उगाया जाता है थोड़ा अंकुरित करके बीजों को लगभग आधा सेमी० मोटी परत के केले के पत्ते, पोलीथीन की चादर अथवा सीमेन्ट के फर्श पर बिछाकर इसमें प्रतिदिन पानी देते रहते हैं इसमें सबसे जरूरी जानने योग्य बात यह है कि इसमें चिड़ियों से बचाव की जरूरत पड़ती है पौध को तैयार करने में किसी भी उर्वरक अथवा खाद की आवश्यकता नहीं पड़ती है और पौध भी दो सप्ताह में तैयार हो जाती है तथा इस विधि द्वारा पौध उगाने में श्रम व समय दोनों की ही बचत होती है.
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