Shakarkand Ki Kheti

शकरकंद की खेती में अधिक मुनाफा कमाएं जानें तरीके। Shakarkand Ki Kheti। SweatPotato Farming in Hindi

शकरकंद की खेती (Shakarkand Ki Kheti) या SweatPotato Farming in Hindi आदि की विस्तार से जानकारी.

शकरकंद को भारत में ही नहीं बल्कि कई जगह पर बोया जाता है शकरकंद को गेहूं और चावल की जगह भी प्रयोग किया जाता है भारत में अधिकतर लोग इसको भूनकर या उबालकर भी खाते हैं और अगर हम औद्योगिक क्षेत्र की बात करें तो शकरकंद से एल्कोहल, स्टार्च तथा सीरप आदि बनाए जाते हैं तो आइए बिना किसी देरी के शकरकंद की खेती (Shakarkand Ki Kheti) के बारे में विस्तार से जानकारी हासिल करते हैं.

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शकरकंद की खेती के लिए भूमि और उसकी तैयारी

किसान मित्रों शकरकंद की बुवाई करने के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है लेकिन दोमट मिट्टी में भी इसको सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है इसके लिए आपको अच्छी तैयारी की भी जरूरत होती है मिट्टी पलट हल से गहरी जुताई के बाद खेत को देशी हल से तैयार करना चाहिए इसके लिए लगभग 4 से 5 जुताइयां पर्याप्त रहतीं हैं और बाद में पर्याप्त मात्रा में गोबर की खाद डालकर उसे भूमि में मिला देना चाहिए.

शकरकंद की खेती में प्रयोग होने वाले खाद और उर्वरक

अगर आप शकरकंद की अच्छी उपज पाना चाहते हैं तो आगे दी गई लिस्ट में प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खाद और उर्वरक देना चाहिए.

गोबर की खाद200 कुंतल
नाइट्रोजन (उर्वरकों के रुप में)50 किलोग्राम
फास्फोरस 50 किलोग्राम
पोटाश50 किलोग्राम

गोबर की खाद खेत में शकरकंद बोने से लगभग 20 से 25 दिन पहले मिला देनी चाहिए नाइट्रोजन की ⅔ मात्रा और फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा बोने से पहले आखिरी जुताई के समय ड्रिल द्वारा मिट्टी में मिला देनी चाहिए बची हुई नाइट्रोजन की ⅓ मात्रा मेड़ों पर मिट्टी चढ़ाते समय दे देनी चाहिए.

शकरकंद की उन्नत किस्में (Shakarkand Ki Unnat Kisme)

किसान मित्रों किसी भी फसल की अच्छी उपज उस फसल की उन्नत किस्मों पर भी निर्भर होती है इसलिए आगे दी गई शकरकंद की उन्नत किस्में (Shakarkand Ki Unnat Kisme) ध्यान से पढ़ें ताकि आप एक उन्नत किस्म का चुनाव आसानी से कर सकें.

  • काल मेघ
  • एक्स 24
  • पूसा लाल
  • पूसा सफेद
  • पूसा सुनहरी
  • हरटो गैली
  • हाइब्रिड 42
  • ई• सी• 7193

मित्रों ये जो ऊपर शकरकंद की उन्नत किस्में (Shakarkand Ki Unnat Kisme) दी गई हैं इनमें से काल मेघ और एक्स 24 सबसे कम समय में तैयार होने वाली शकरकंद की किस्में हैं.

शकरकंद के बीज और उसकी मात्रा

शकरकंद की बुवाई शकरकंद की बेलों के टुकड़े काटकर और उन्हें मेड़ों पर रोप कर की जाती है अक्टूबर से नवंबर में जब शकरकंद की खुदाई की जाती है तो खेत के एक भाग में कुछ बेलों को चढ़ने के लिए छोड़ दिया जाता है और उसमें जरूरत के अनुसार समय समय पर सिंचाई करते रहते हैं ये बेलें अगले वर्ष के लिए बीज का काम देती हैं लेकिन शकरकंद के बीज रखने का ढंग संतोषजनक नहीं है अतः शकरकंद बोने के लिए शकरकंद की बेलों की काटें आगे लिखे दो ढंगों में से किसी एक ढंग द्वारा प्राप्त करनी चाहिए.

  • जब शकरकंद की खुदाई की जाए उस समय शकरकंद की कुछ बेलों को लेकर उनके छोटे छोटे टुकड़े कर लिए जाएं और इन टुकड़ों को नर्सरी में रोप दिया जाए नर्सरी में इन लताओं के टुकड़ों को यथासमय सिंचाई करके बेलों की अगली बुवाई के समय प्रयोग में लाने के लिए तैयार किया जाता है.
  • मोटी मोटी स्वस्थ शकरकंद को जनवरी में क्यारियों में लाइन से लाइन 45 सेमी• तथा कंद से कंद 30 सेमी• की दूरी पर 5 से 8 सेमी• गहराई पर बोना चाहिए एक हेक्टेयर में रोपाई के लिए 1/20 हेक्टेयर नर्सरी क्षेत्रफल पर्याप्त होता है लगभग 5 से 6 क्विंटल कंद बोने पर एक हेक्टेयर की रोपाई के लिए बेलें तैयार हो जाती हैं लताओं की बढ़ोतरी के लिए 1/20 हेक्टेयर क्षेत्र में 15 से 20 किलोग्राम यूरिया टॉपड्रेस करना चाहिए इन शकरकंद में कल्ले फूटते हैं इन कल्लों से बेल बढ़ आती हैं जिन्हें काटकर बीज के लिए प्रयोग किया जाता है.

शकरकंद की खेती के लिए सिंचाई और जल निकास

मित्रों शकरकंद की लताओं के टुकड़ों की रोपाई के तुरंत बाद सिंचाई करनी चाहिए उसके बाद 10 से 12 दिन के अंतर से जरूरत के अनुसार सिंचाई करनी चाहिए मई जून में रोपी गई फसल को वर्षा शुरु होने से पहले कम से कम दो तीन बार सींचना जरूरी होता है यदि वर्षा न हो तो वर्षा ऋतु में भी समय समय पर सिंचाई करते रहना चाहिए इस बात पर विशेष रुप से ध्यान रखना चाहिए कि बारिश के दिनों में शकरकंद के खेत में वर्षा का फालतू पानी न रुकने पाए अन्यथा शकरकंद की बेलें सूख जाती हैं.

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शकरकंद की खेती में निकाई गुड़ाई

मित्रों शुरुआत की अवस्था में शकरकंद के खेत में पर्याप्त मात्रा में खरपतवार उग आते हैं जिन्हें खेत से निकालना बहुत जरूरी होता है बेलों के पूरा बढ़ने तक निकाई गुड़ाई करके खेत को साफ रखना चाहिए निराई गुड़ाई करते समय मेड़ों पर थोड़ी थोड़ी मिट्टी भी चढ़ाते रहना चाहिए साधारण तौर पर निराई गुड़ाई का कार्य केवल उसी समय तक करना चाहिए जब तक कि शकरकंद की बेलें आपस में न मिलें इसके बाद में खरपतवारों को केवल खड़ी फसल में से ही उखाड़ा जा सकता है.

कभी कभी निराई गुड़ाई करते समय बेलों को पलट दिया जाता है और बाद में निराई गुड़ाई का कार्य समाप्त हो जाने के बाद पुनः अपनी पहली अवस्था में पलट दिया जाता है जबकि बेलों को पलटने के बारे में मतभेद है फिर भी वृद्धि की शुरुआत की अवस्थाओं में बेलों को पलटा जा सकता है 30 से 60 सेमी• की ऊंचाई तक शकरकंद की सभी द्वितीयक शाखाओं को काट देना चाहिए ऐसा करने से बेलों की जरूरी शाकीय वृद्धि रुकती है और जड़ें (कंद) मोटी होती हैं.

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शकरकंद की खुदाई

शकरकंद की खुदाई आमतौर पर नवंबर में की जाती है खुदाई के समय खेत में नमी होने पर खुदाई करने में सुविधा रहती है शकरकंद की खुदाई करने से पहले दो से तीन शकरकंद को सिर से काटकर देख लेना चाहिए यदि काटने पर शकरकंद का सिरा जल्दी सूख जाए तो समझना चाहिए कि शकरकंद की फसल खुदाई के लिए तैयार है यदि शकरकंद का कटा हुआ सिरा काला पड़ने लगे तो समझना चाहिए कि अभी फसल खुदाई के लिए अभी उपयुक्त नहीं है.

शकरकंद की उपज

शकरकंद की उन्नत खेती करने पर करीब 300 से 350 कुंतल उपज प्रति हेक्टेयर तक मिल जाती है.

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शकरकंद की खेती में लगने वाले रोग (Shakarkand Ki Kheti Me Lagne Wale Rog)

  • काला सड़न रोग
  • तना सड़न और उकठा
  • मृदु विगलन
  • पत्ती का धब्बा रोग
  • श्वेत किट्ट

शकरकंद की खेती में लगने वाले कीट (Shakarkand Ki Kheti Me Lagne Wale Keet)

  • शकरकंद का घुन
  • शकरकंद स्फिंक्स
  • बिहार का बालदार गिंडार

शकरकंद की खेती का Conclusion

शकरकंद की खेती अगर आप करना चाहते हैं तो आप इस लेख को पढ़ने के बाद कर सकते हैं अगर अब भी आपके दिमाग में इसकी खेती से संबंधित कुछ सवाल हैं तो आगे दिए गए सवालों और उनके जवाबों को पढ़ सकते हैं लेकिन फिर भी कोई सवाल आपके पास हो तो कॉमेंट करके हमसे जरूर पूछें और इस लेख को अपने अन्य किसान मित्रों के साथ शेयर करें.

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शकरकंद की खेती से संबंधित सवालों के जवाब

शकरकंद की खेती का समय या शकरकंद की खेती कब करें अथवा कब की जाती है?

शकरकंद की खेती आमतौर पर सभी मौसमों में की जाती है लेकिन उत्तम पैदावार केवल गर्मी और बरसात के मौसम में ही मिलती है.

शकरकंद की खेती कैसे होती है या करने का तरीका अथवा कैसे करते हैं या कैसे करें?

शकरकंद की खेती करने के लिए भूमि को अच्छी तरह से तैयार करके उस खेत की मेड़ों पर शकरकंद की बेलें रोप दी जाती हैं.

शकरकंद किस महीने में उगाया जाता है?

अगर आप जायद के मौसम में उगाना चाहते हैं तो शकरकंद को जून के मौसम में उगाना चाहिए इसकी उपज खरीफ की फसलों के साथ ही मिलती है.

शकरकंद से पौधा कैसे उगाएं?

शकरकंद का पौधा उगाने के लिए आमतौर पर शकरकंद की बेलें रोपी जाती हैं.

भारत में शकरकंद कहां उगाए जाते हैं?

भारत में शकरकंद को आमतौर पर उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, हिमाचल प्रदेश आदि राज्यों में अधिक उगाया जाता है.

शकरकंद का बीज कैसा होता है?

शकरकंद का कोई बीज नहीं होता है जिस प्रकार आलू को ही आलू का बीज माना जाता है उसी तरह शकरकंद का बीज शकरकंद ही है.

शकरकंद का बीज कहां मिलता है?

शकरकंद के बीज या बेल को आप अपने नजदीकी नर्सरी से प्राप्त कर सकते हैं.

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