धान की फसल में लगने वाले प्रमुख कीट एवं उनकी रोकथाम।

अगर आप धान की खेती करते हैं तो आपको ज्ञात होना चाहिए कि धान की फसल में कौन कौन से कीट लगते हैं तथा इनका नियंत्रण क्या हैं जिससे उच्च गुणवत्ता की फसल एवं अधिक पैदावार प्राप्त हो सके। तो आइए धान की फसल में लगने वाले कुछ प्रमुख कीटों पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।

धान की फसल में लगने वाले प्रमुख कीट:-

1) तना छेदक कीट –

कीट की पहचान विधि-

  • इस कीट की सूँड़ियाँ पीले या मटमैले रंग की चिकनी होती हैं, जो पौधे के अन्दर प्रवेश कर वृद्धि कोशिकाओं को खा जाती हैं जिससे गोभ सूख जाती हैं। बालियाँ सूखी दिखाई पड़ती हैं, जो खींचने पर आसानी से निकल आती हैं।
रोकथाम-
  • धान के अवशेष को इकट्ठा करके जला देना चाहिए जिससे छिपे हुये सुसुप्त कीट नष्ट हो जायें।
  • धान की फसल में लगने वाले तना छेदक कीट की रोकथाम के लिए क्लोरोन्ट्रेनिलीप्रोल 18.5% SC @ 5 ML 15 लीटर पानी मे घोलकर छिड़काव करें।

2) धान का बंका या पत्ती लपेटक कीट-

कीट की पहचान विधि-

  • यह कीट धान की पत्तियों पर समूह में अंडे देती हैं।
  • इस कीट की सूंडियां शुरुआत में पीले रंग की होती हैं।
  • बाद में इनका रंग हरा हो जाता है और पंखो पर कत्थई रंग की आड़ी-टेढ़ी रेखाएं दिखाई देती हैं।
  • यह पत्तियों को खाने के साथ साथ उसे काटकर नाली के समान खोल बना लेती हैं।
  • इस कीट का प्रकोप अगस्त-सितम्बर माह में अधिक होता है।
रोकथाम-
  • जिन पत्तियों पर इनके अंडे हों उन पत्तियों को तोड़ कर अंडों को नष्ट कर दें।
  • इसके अलावा फुलबेन्डीयमाईड 20%WP @100 ग्राम या 400-600 मिली फिप्रोनिल 5% एससी को 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करने से इस कीट से राहत मिलती है।

3) हिस्पा कीट-

कीट की पहचान-

  • इस कीट के गिडार पत्तियों में सुरंग बनाकर हरे भाग को खाते हैं, जिससे पत्तियों पर फफोले जैसी आकृति बन जाती है। प्रौढ़ कीट पत्तियों के हरे भाग को खुरच कर खाते हैं। 
रोकथाम-
  • इस कीट के नियंत्रण के लिए क्लोरोपायरीफाॅस 20% ईसी@ 500 मिली प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़़काव करें।
  • इसके अलावा इमिडाक्लोप्रिड 6.00% + लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 4.00% एसएल @120 मिली प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़़काव करना चाहिए।

4) धान की गन्धी कीट-

कीट की पहचान विधि-

  • इस कीट के बच्चे (शिशु) तथा वयस्क (प्रौढ़) दोनों ही लम्बी टांगो वाले भूरे रंग के विशेष गन्ध वाले होते हैं, जो बालियों की दुग्धावस्था में दानों में बन रहे दूध को चूसकर क्षति पहुंचाते हैं। प्रभावित दानों में चावल नहीं बनते हैं।
  • खेत में क्षतिग्रस्त बालियाँ सफेद दिखाई पड़ती हैं।
रोकथाम-
  • इस कीट पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ फसल में 150 मिलिलीटर इमिडाक्लोरपिड 17.5 प्रतिशत एससी या 100 ग्राम थियामेथोक्सम का छिड़काव करें।

5) धान का बाल काटने वाला कीट या सैनिक कीट-

कीट की पहचान विधि –

  • इस कीट की सुंडियां भूरे रंग की होती हैं, जो दिन के समय कल्लों के मध्य, भूमि की दरारों में छिपी रहती हैं और रात को कल्लों या दरारों से निकलकर पौधों पर चढ़ जाती हैं तथा बालियों को छोटे–छोटे टुकड़ों में काटकर नीचे गिरा देती हैं।यह कीट बौनी जातियों को अधिक हानि पहुँचाता हैं।
रोकथाम-
  • इस कीट की रोकथाम के लिए साइपरमेथ्रिन 1 मिली प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़़काव करना चाहिए। शाम के समय छिड़़काव करना सबसे अच्छा रहता हैं।

हमें उम्मीद हैं कि हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपके लिए उपयोगी सिध्द हुई होगी। अगर आपको यह जानकारी पसन्द आई तो अपने अन्य किसानों के साथ साझा करें। और इसी तरह की जानकारी के लिए लाल रंग के घंटी को दबाकर सब्सक्राइब करें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछ सकते हैं।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Open chat
1
हैलो
हैलो