धान की फसल खरीफ सीजन में लगाई जाने वाली प्रमुख फसलों में से एक है यह इस सीजन की फसल का प्रारम्भ हैं कई किसान मित्र धान की रोपाई कर चुके हैं और जबकि कई किसान अभी रोपाई करने वाले हैं धान की फसल में खरपतवार होना हमेशा से ही एक बहुत बड़ी समस्या रही है dhan ki fasal ke kharpatwar स्वयं तो फसल को नुकसान पहुंचाते ही हैं इसके साथ में ये रोग व कीटों को भी आश्रय देते हैं जिससे धान की फसल सीधे प्रभावित होती हैं.
धान की फसल में खरपतवार के कारण 15 से 85 प्रतिशत तक का नुकसान होता है और कभी-कभी यह नुकसान 100 प्रतिशत तक भी पहुंच जाता है. इसलिए सही समय पर खरपतवार नियंत्रण करना बहुत आवश्यक है और इस लेख के माध्यम से हम जानेगें कि धान की फसल में समय रहते खरपतवार नियंत्रण कैसे कर सकते हैं.
धान में पाये जाने वाले घास कुल के खरपतवार
धान में घास कुल के कई खरपतवार पाये जाते हैं जिनमें मुख्य रूप से जंगली सांवा, सवई घास, जंगली कोदो, बांसी घास, दूब घास, मकड़ा आदि पाये जाते हैं.
धान में पाए जाने वाले चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार
चौड़ी पत्ती में मुख्य रूप से कनकौवा, कांटेदार चौलाई, पत्थरचट्टा, भंगरैया, महकुआ आदि खरपतवार पाये जाते हैं इसके साथ ही साथ मोथा (भादा) की भी कई प्रजातियां पाई जाती हैं.
निराई- गुड़ाई एवं खरपतवार नियंत्रण
धान की फसल में निराई गुड़ाई करना बहुत आवश्यक हैं निराई गुड़ाई खुरपी या पैडी वीडर की सहायता से कर सकते हैं पैडी वीडर के प्रयोग से पौधों में कल्ले अधिक निकलते हैं और इसके कारण पैदावार में भी वृद्धि होती हैं निराई गुड़ाई धान की फसल में दो बार पहली रोपाई के 20 दिनों के बाद एवं दूसरी बार रोपाई के 50-60 दिनों के बाद करनी चाहिए. यह कार्य किसान भाई खरपतवार रसायन की मदद से भी कर सकते हैं जिसके बारे में आगे जानकारी दी गई है.
बुआई के 3-4 दिनों के अंदर इस तरह करें खरपतवार नियंत्रण
बुआई के 3-4 दिन के भीतर खरपतवार नियंत्रण के लिए प्री-इमरजेंस खरपतवार नाशक का प्रयोग करना चाहिए घास जाति एवं चौड़़ी पत्ती वाले खरपतवारों के नियंत्रण हेतु पायरेजोसल्फ़ुएरोन 10 डब्लू .पी. @80 ग्राम या प्रेटिलाक्लोर 50 ई0सी0 @500 मिली लीटर प्रति एकड़ प्रयोग करना चाहिए और इन खरपतवार नाशकों की क्षमता बढाने के लिए जरुरी है कि लगातार एक सप्ताह तक खेत में नमी को बना करके रखा जाए इस दौरान खेत में पर्याप्त नमी होना बहुत जरूरी है.
बुआई के 20-25 दिनों के अन्दर इस तरह करें खपतवार नियंत्रण
दूसरी बार बुआई के 20-25 दिन के भीतर बिसपायरिबैक सोडियम @100 एम.एल प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करना चाहिए इसके छिड़काव से घास कुल के संकरी पत्ती वाले जैसे सांवा एवं चौड़ी पत्ती वाले जैसे कौआ, कैनी तथा मोथा का आसानी से नियंत्रण हो जाता है. किसान भाईयों को यह अवश्य ध्यान देना चाहिए कि खरपतवारनाशी रसायन के छिड़काव के लिए हमेशा फ्लैट फेन या फ्लैट जेट नोजल का प्रयोग प्रभावी खरपतवार नियंत्रण के लिए प्रयोग करें.
खरपतवारनाशी का प्रयोग करते समय जरूरी सावधानियां
धान की फसल या किसी भी प्रकार की फसल में जब हम खरपतवारनाशी का प्रयोग करते हैं तो हमें कुछ सावधानी बरतनी चाहिए जिनके बारे में आगे जानकारी दी गई है.
>> फसलों में उपस्थित खरपतवारों के प्रकार एवं अवस्था के अनुसार खरपतवारनाशकों का चुनाव करना चाहिए.
>> शरीर का कोई अंग या भाग खरपतवार नाशकों के सम्पर्क में कम से कम आना चाहिए, इसके लिए आवश्यक है कि छिड़काव करते समय दस्ताना, फुलपैंट, फुल कमीज एवं जूता पहनें.
>> हमेंशा अनुशंसित खरपतवारनाशकों का प्रयोग करना चाहिए और इनकी खरीदारी विश्वस्त जगह से करनी चाहिए.
>> खरपतवार नाशकों के छिड़काव के समय धूम्रपान एवं खान-पान से बचना चाहिए.
>> खरपतवार नाशकों का प्रयोग दी गई मात्रा से कम या ज्यादा नहीं करना चाहिए.
>> छिड़काव कार्य सम्पन्न हो जाने पर कपड़ा बदल कर स्नान अवश्य कर लेना चाहिए.
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>> खरपतवार नाशकों के छिड़काव के पूर्व पम्प को आवश्यकतानुसार समायोजित कर लेना चाहिए.
>> छिड़काव के बाद खरपतवार नाशकों के बचे घोल को मुख्य खेत में न फेंके, अगर फेंकना हो तो बिना जोत वाले खेत में फेंके.
>> खाली पेट खरपतवार नाशकों का छिड़काव नहीं करना चाहिए.
>> स्प्रे करने वाले पम्प को छिड़काव के बाद डिटर्जेंट से अवश्य धुल देना चाहिए.
>> खरपतवार नाशकों का छिड़काव की दिशा हवा के दिशा के विपरित नहीं होना चाहिए.
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