अगर आपने कभी भी धान की खेती की है तो आप जानते ही होंगे कि जब धान में रोग लगते हैं तो वो कितना परेशान करते हैं कभी कभी हमे यह पता ही नहीं होता कि हमारी फसल में कौन सा रोग लगा है और इसी कारण से रोग की रोकथाम करने में बहुत देर हो जाती है और अगर समय रहते रोगों की रोकथाम न की जाये तो वो होने वाले उत्पादन को आधा तक कर देते हैं और अंत में हमको आपको भारी नुकसान हो जाता है तो इसी कारण से आज हम लाये हैं धान की फसल में लगने वाले 5 खतरनाक रोग और उनकी रोकथाम के उपाय और साथ में यह भी जानेंगे कि इन रोगों के लक्षण कैसे पहचाने? तो आइये जानते हैं.
धान का झोंका रोग
पहचान
इस रोग की पहचान करने के लिए सबसे पहले पौधों की पत्तियों को देखें इसके होने पर पत्तियों के निचले सिरे की ओर भूरे रंग के धब्बे बन जाते हैं और जब धब्बे बड़े हो जाते हैं तो वो आँख या नाव के आकार के बन जाते हैं और इन धब्बों के आसपास का रंग भूरा और इनके बीच का रंग राख के जैसा काले रंग का हो जाता है और बाद में पूरा पौधा सूख जाता है और देखने में ऐसा लगता है जैसे कि पौधे को जला दिया गया हो.
रोकथाम
सबसे पहले धान की ऐसी किस्मों को चुने जो रोग प्रतिरोधी छमता रखती हो और अगर आप घर का ही बीज बो रहे हों तो ऐसे खेत से बीज को चुने जिस खेत में पहले यह रोग न लगा हो और बीज को नर्सरी में लगाने से पहले बीज को ट्राइकोडर्मा आदि से उपचारित कर लेना चाहिए. लेकिन अगर आप ये कुछ नहीं कर सकते हैं और ये रोग लग गया है तो आप बायोवेल के जैविक कवकनाशी बायो ट्रूपर की 500 मि.ली. मात्रा को 120 से 150 लीटर पानी में प्रति एकड़ घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए.
धान का झुलसा रोग
पहचान
इस रोग की भी पहचान करने के लिए सबसे पहले पत्तियों को देखें आपको पत्तियां किनारे से बीच की ओर सूखती हुई नजर आएँगी और सिकुड़कर सूख जाएँगी और पत्तियों पर बीच में राख के धब्बे बन जाते हैं.
रोकथाम
सबसे पहले बीज बोने से पहले यह ध्यान दें कि रोग प्रतिरोधी किस्म का चुनाव करें और शुद्ध बीज का ही चुनाव करें और बुआई से पहले बीजों को 2.5 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन और 25 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड के घोल में 12 घंटे तक डुबोकर रखें जब यह रोग हो जाए तो नाइट्रोजन वाली खादों का खेत में कम ही उपयोग करें और रोग को आगे फैलने से रोकने के लिए खेत में उचित जल निकासी की व्यवस्था कर दें.
धान का खैरा रोग
पहचान
धान में यह रोग मुख्य रूप से जिंक की कमी से होता है और इस रोग के लक्षण धान रोपाई के लगभग 20 से 25 दिन बाद दिखने लगते हैं धान में जब यह रोग हो जाता है तो पत्तियों के ऊपरी सिरे की ओर देखें तो पत्तियों पर हल्के पीले रंग के धब्बे बन जाते हैं और ये धब्बे बाद में भूरे रंग में बदल जाते हैं और पौधे की जड़ें भी भूरे रंग की हो जाती हैं तथा इस रोग के होने पर पौधा बौना भी रह जाता है.
रोकथाम
खैरा रोग की रोकथाम करने के लिए एक एकड़ के लिए 400 लीटर पानी में 2 किलो जिंक सल्फेट और 8 किलो यूरिया मिलाकर छिड़काव करना चाहिए.
धान का सफेदा रोग
पहचान
धान की फसल में यह रोग मुख्य रूप से लौह तत्व की कमी के कारण से होता है इस बीमारी में धान की नयी पत्तियां कागज जैसी सफ़ेद रंग की दिखाई देती हैं इस रोग में पौधों के तने चटकने लगते हैं और पत्तियाँ नोक की ओर से अंदर की ओर सिकुड़ने लगती हैं और उन पर सफ़ेद भूरे रंग के धब्बे दिखाई देने लगते हैं और बालियों में दाने भी नहीं बनते हैं.
रोकथाम
सबसे पहले तो ऐसी किस्मों को चुने जो रोग प्रतिरोधी हों और उनको बीजोपचार करके ही बोयें और अगर आपकी फसल में यह रोग हो गया हो तो 400 लीटर पानी में 2 ग्राम फ़ेरस सल्फ़ेट, 8 किलो यूरिया मिलाकर छिड़काव करें.
धान का शीथ ब्लाइट
पहचान
यह धान की बीमारी पूरी दुनिया में धान की सबसे खतरनाक बीमारियों में से एक है क्योंकि इसके होने पर फसल की उपज सीधे आधी हो जाती है इस बीमारी में पौधे में जहाँ से पत्तियां जुडी होती हैं वहां पर मटमैले और हरे रंग के धब्बे दिखाई देते हैं इन बने हुए धब्बों का किनारे का भाग गहरा और बैंगनी रंग का होता है यह धान की बीमारी इतनी खतरनाक इसलिए है क्योंकि यह पौधे के जमाव से लेकर बालियों में दाना बनते समय तक फ़ैल सकती है और अगर बीमारी गंभीर रूप ले लेती है तो इस रोग से संक्रमित पत्तियां मर जाती हैं.
रोकथाम
सबसे पहले ऐसी किस्मों को चुने जो रोग प्रतिरोधी हों और उसके बाद बीज को उपचार करने के बाद ही खेत में बोयें और अगर यह रोग लग गया हो तो रोग की तीव्रता के आधार पर 0.2% सांद्रता का स्यूडोमोनस फ्लोरेसेंस का पत्तियों पर छिड़काव करें और यह छिड़काव रोपाई के 45 दिन बाद से 10 दिनों के अंतराल पर 3 बार करें.
तो ये कुछ धान में लगने वाले हानिकारक रोग थे लेकिन ऐसा नहीं है कि केवल यही 5 रोग धान में लगते हैं बल्कि इनके अलावा और भी ऐसे कई रोग हैं जो धान की फसल को नुकसान पहुंचाते हैं अगर आप कमेंट करेंगे तो हम बचे हुए उन रोगों पर लेख लेकर जरूर आएंगे.
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