Foolgobhi

फूलगोभी में लगने वाले रोग और उनकी रोकथाम। Foolgobhi me lagne wale rog aur unki roktham

फूलगोभी को बोकर आप लाखों रूपए कमा सकते हैं ये बात तो सभी लोग जानते हैं लेकिन फूलगोभी में लगने वाले रोग आपकी फसल को पूरी तरह बर्बाद कर सकते हैं जिससे आप लाखों रूपए गवां देंगे तो आज हम आगे फूलगोभी में लगने वाले रोग और उनकी रोकथाम के बारे में विस्तार से जानकारी हासिल करेंगे इसलिए इस पोस्ट को आखिर तक जरुर पढ़ें और अपने किसान मित्रों से शेयर भी करें.

आर्द्र पतन रोग (Damping off)

यह नर्सरी में लगने वाली मुख्य बीमारी है इससे पौधे की जड़ें सड़ जाती हैं बीमार पौधे भूमि की सतह से गलकर गिर जाते हैं यह रोग फफूँद के द्वारा होता है इस फफूँद द्वारा बीज पत्राधार (hypocotyl) पर भूरे रंग के धब्बे पैदा होते हैं, जो जड़ तथा भूमि की सतह के निकट तने के निचले भाग पर फैल जाते हैं इन भागों में सड़न हो जाने के कारण पौधे गिर जाते हैं और अन्त में मर जाते हैं.

आर्द्र पतन रोग की रोकथाम

  1. नर्सरी को फारमेल्डीहाइड (20-30 मिली प्रति ली० पानी) से उपचारित करना चाहिये.
  2. बीज को कैप्टान या थायराम से (2.5 ग्राम दवा प्रति किलो बीज) उपचारित करके बोयें बोआई के पहले नर्सरी की मिट्टी को 0.2 प्रतिशत बेसीकाल के घोल से सिंचित कर दिया जाये.

काला विगलन रोग

यह रोग जीवाणु के कारण होता है इस रोग के कारण सबसे पहले पत्तियों के किनारों पर V आकार के हरिमाहीन मुरझाये हुये स्थान दिखाई पड़ते हैं जैसे-जैसे रोग बढ़ता है पत्तियों की शिराओं का रंग काला या भूरा होने लगता है पूरी पत्ती का रंग पीला पड़ जाता है और यह मुरझा कर गिर जाती है पर्णवृन्त (petiole) तथा शिराओं पर काले बिन्दु दिखाई पड़ते हैं.

काला विगलन रोग की रोकथाम

  1. बीजों को बोने से पहले 50° से० तापमान पर 30 मिनट के लिये गर्म पानी से उपचारित करना चाहिये.
  2. कम से कम 2 वर्ष तक सरसों कुल की फसलों को फसल चक्र में सम्मिलित नहीं करना चाहिये.
  3. फसल के मलबे को जला देना चाहिये ताकि इन पर पाये जाने वाले जीवाणुओं का विनाश हो सके.

पत्ती धब्बा रोग (Alternaria black leaf spot)

यह रोग भी एक फफूँद के द्वारा होता है इस रोग के कारण पत्तियों पर बहुत से छोटे-छोटे गोल तथा गहरे रंग के धब्बे बनाते हैं इन धब्बों के केन्द्रीय स्थान पर नीलापन लिये हुये फफूँद की वृद्धि पायी जाती है इनमें बाद में चक्करदार रेखायें बनने लगती हैं.

पत्ती धब्बा रोग की रोकथाम

  1. फसल के मलबे को जलाकर नष्ट कर देना चाहिये.
  2. फसल पर रोग के लक्षण दिखाई देते ही 2.5 किलोग्राम इण्डोफिल एम-45 को 1000 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव कर देना चाहिये.

काला तार सदृश तना रोग (Wire stem)

यह फूलगोभी का नया रोग है जो कि फफूँद के कारण होता है इस रोग के कारण रोगी फूलगोभी के पौधे का तना जमीन की सतह के पास तारकोल के समान काला पड़ जाता है.

काला तार सदृश तना रोग की रोकथाम

इस रोग की रोकथाम पौध की रोपाई के बाद 10 दिन के अन्तर से 0.2 प्रतिशत बेसीकाल के घोल से क्यारियों को सिंचित करके की जा सकती है.

यह भी पढ़ें: फूलगोभी की उन्नत किस्में। Foolgobhi ki unnat kisme

काली मेखला रोग (Black leg)

यह रोग भी फफूँदी के कारण होता है इस रोग के लक्षण पहले नर्सरी में ही बोआई के 15-20 दिन बाद दिखाई देते हैं पत्तियों पर धब्बे बनते हैं जिनके बीच का भाग राख की तरह धूसर रंग का होता है तनों पर धब्बे पंक्तिबद्ध होते हैं और नीललोहित रंग के किनारों से घिरे रहते हैं रोगी पौधे जल्दी नहीं गिरते परन्तु जब पौधों के शीर्ष (फूल) बड़े हो जाते हैं उनके भार के कारण रोगग्रस्त तनों के कमजोर क्षेत्र से पौधे गिर जाते हैं.

काली मेखला रोग की रोकथाम

  1. बीज को बोने से पहले गर्म पानी (50° से०) में 30 मिनट तक उपचारित करना चाहिये.
  2. तीन वर्ष का फसल चक्र अपनाना चाहिये जिसमें यथासम्भव सरसों कुल की फसल सम्मिलित नहीं करनी चाहिये.

यह भी पढ़ें: लहसुन की खेती। Lahsun Ki Kheti

लालामी रोग

यह रोग बोरान तत्व की कमी के कारण होता है फूल के बीचों-बीच और डंठल व पत्तियों पर पीले धब्बे बनते हैं फूल कत्थई रंग का दिखाई देने लगता है रोगी पौधों की बढ़वार रुक जाती है और डंठल खोखले से रह जाते हैं.

लालामी रोग की रोकथाम

इस रोग की रोकथाम के लिये नर्सरी में पौधों पर 0.3 प्रतिशत बोरेक्स (सुहागा) के घोल का छिड़काव करें तथा रोपाई बाद मुख्य खेत में 0.5 प्रतिशत बोरेक्स के घोल का छिड़काव करें.

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