दोस्तों, किसान भाईयों नमस्कार इस लेख में हम आपके लिए लेकर आए हैं एक ऐसी खेती, जिसको आप समय से बोकर लाखों रुपए कमा सकते हो। जी हां किसान भाईयों वो खेती है- गाजर की खेती।
किसान भाईयों गाजर एक बहुत ही महत्वपूर्ण जड़वाली सब्जी की फसल है और गाजर की खेती पूरे भारत में की जाती है। गाजर में विटामिन ए और कैरोटिन भी पाया जाता है गाजर की हरी पत्तियों में बहुत ज्यादा पोषक तत्व पाए जाते हैं गाजर की हरी पत्तियों का प्रयोग मुर्गियों का चारा बनाने में अधिकतर करते हैं।
किसान भाईयों गाजर मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, असम, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, पंजाब तथा हरियाणा में अधिक उगाई जाती हैं।
गाजर का उत्पत्ति और इतिहास:-
किसान भाईयों अगर इतिहासकारों और अनुवांशिक अध्ययनों की मानें तो घरेलू गाजर का जन्म स्थान मध्य एशिया को ही माना गया है। जब पहली बार गाजर को खाया गया तो उनकी जड़ों की बजाय सुगंधित पत्ती और बीजों को खाया गया। इसलिए अभी भी गाजर के करीबी रिश्तेदारों की पत्तियों और बीजों को ही खाया जाता है, जैसे: धनिया, सौंफ, जीरा, आदि!
गाजर का क्षेत्रफल और वितरण:-
किसान भाईयों अगर गाजर के क्षेत्रफल की बात करें तो दुनिया में सबसे ज्यादा गाजर चीन में उगाई जाती है और दूसरा नम्बर संयुक्त राज्य अमेरिका का आता है तथा तीसरा स्थान यूक्रेन का आता है। भारत में गाजर सबसे ज्यादा हरियाणा, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, पंजाब तथा उत्तर प्रदेश में उगाई जाती है।
गाजर की खेती के लिऐ उपयुक्त जलवायु:-
किसान भाईयों गाजर एक ठंडी जलवायु की फसल है इसका बीज का जमाव 8 से 24 डिग्री सेल्सियस तापमान पर हो सकता है। जो जड़ों का रंग और वृद्धि होती है वह तापमान से बहुत अधिक प्रभावित होती है। 15 से 20 डिग्री सेल्सियस तापमान पर जड़ों का आकार छोटा होता है लेकीन रंग बहुत ही अच्छा होता है। अलग अलग किस्मों पर तापमान का अलग अलग प्रभाव पड़ता है।
गाजर की प्रमुख प्रजातियां:-
किसान भाईयों अगर एशियन किस्मों की बात करें तो: पूसा मेघाली, पूसा केसर, हिसार रसीली, पूसा रुधिर, आदि आती हैं।
और अगर यूरोपियन किस्मों की बात करें तो उनमें: नैंटीज, पूसा यमदग्नि, चैंटनी, आदि आती हैं।
गाजर के लिऐ उपयुक्त भूमि:-
किसान भाईयों गाजर की खेती दोमट मिट्टी की भूमि में बहुत अच्छी होती है जैसा कि आप जानते हैं कि बुवाई के समय मिट्टी भुरभुरी होनी चाहिए। जिससे जड़ें अच्छी बनती हैं और जड़ों का विकास बहुत ज्यादा अच्छा होता है। और भूमि का pH मान लगभग 6.5 होना चाहिए।
गाजर के खेत की तैयारी:-
अगर अब बात करें भूमि की तैयारी की तो भूमि में पानी का निकास होना बहुत ही जरुरी है। और शुरू में भूमि को दो बार विक्ट्री हल से जोत लेना चाहिए। तथा इसके बाद में 3 से 4 जुताइयां देशी हल से करनी चाहिए। और उनमें हर एक जुताई के बाद पाटा जरुर लगा दें। ताकि खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाए। खेत की मिट्टी 30 से 40 सेमी गहराई तक भुरभुरी होनी चाहिए।
गाजर की बीज बोने की विधियां:-
अगर बात की जाए बोने की विधि की तो इसकी बुवाई छोटी-छोटी समतल क्यारियों में अथवा 30 से 40 सेमी की दूरी पर क्यारियों में करते हैं।
गाजर के लिए बीज की मात्रा:-
किसान भाईयों गाजर की खेती करने के लिए एक हेक्टेयर में 8 से 10 किलो ग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
गाजर की बुवाई का समय:-
किसान भाईयों गाजर की बुवाई का उपयुक्त समय मध्य अगस्त से मध्य नवम्बर तक का है।
गाजर के लिए खाद और उर्वरक:-
किसान भाइयों 50 किलो नाइट्रोजन, 40 किलो फॉस्फोरस और 50 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर के साथ खेत की तैयारी के समय 2-3 टन गोबर की खाद डालें। नाइट्रोजन की आधी मात्रा तथा फास्फोरस व पोटाश की पूरी मात्रा बुवाई से पहले डालें। बची हुई नाइट्रोजन को अंकुरण के 56 सप्ताह बाद देना चाहिए।
गाजर की सिंचाई:-
किसान भाईयों गाजर की फसल को 5 से 6 बार सिंचाई करने की आवश्यकता होती है। अगर खेत में बुवाई करते समय नमी कम हो तो पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद करनी चाहिए। ध्यान रहे पानी मेड़ों से ऊपर न जाए बल्कि 3 या 4 भाग तक ही रहें, बाद में आवश्यकतानुसार हर 15 से 20 दिन के अंदर सिंचाई करनी चाहिए।
गाजर की निकाई – गुड़ाई:-
किसान भाईयों गाजर की खेती को खरपतवारों से सुरक्षित रखना बहुत ही जरुरी होता है। पहली निकाई उस समय करें जब पौधों की ऊंचाई 10 से 12 सेमी की हों। इसी समय पंक्तियों से फालतू के पौधे निकालकर आपस की दूरी 10 सेमी कर देनी चाहिए। वैसे हर एक सिंचाई के बाद निकाय की जरूरत होती है इसी प्रकार कहें तो कुल मिलाकर 5 से 6 बार निकाई की आवश्कता होती है।
गाजर की खेती में खरपतवार और उनका नियंत्रण:-
खरपतवार नियंत्रण के लिए बात की जाए तो किसान भाईयों जैसा कि आपने पहले जाना कि हर एक सिंचाई के बाद निकाई की आवश्कता होती है तो हर एक सिंचाई के बाद निकाई करने से खरपतवार नहीं उगते।
गाजर की खेती के लिए हानिकारक रोग तथा उनकी रोकथाम:-
वैसे तो गाजर की खेती में कम रोग ही लगते हैं लेकीन कुछ महत्वपूर्ण रोग हैं, जैसे: आर्द्र पतन, जीवाणु मृदु सड़न, बिंगबड़ रोग, आदि! अब इनके निवारण की बात कर लेते हैं।
आर्द्र पतन रोग होने पर सिंचाई हल्की करनी चाहिए।
जीवाणु मृदु सड़न रोग के फैलने पर खेत में जल निकास का बहुत ही अच्छा प्रबंध करना चाहिए और रोग के फैलने पर नाइट्रोजन के उर्वरक की टापड्रेसिंग न करें।
और सभी रोगों के लिए एक बार विशेषज्ञ की सलाह जरुर ले लें।
गाजर की खेती में लगने वाले हानिकारक कीट तथा उनकी रोकथाम:-
किसान भाईयों गाजर की खेती में वैसे तो कीटों का आक्रमण भी बहुत कम होता है लेकीन इसमें दो कीड़ों का प्रकोप बहुत अधिक होता है: कटुवा कीट (cut worm), तार कीट (wire worm)।
इन दोनों कीड़ों से बचने के लिए बुवाई से पहले खेत में लिंडेन 1.3% धूल को खेत में अच्छी तरह मिला देनी चाहिए। और एक बार विशेषज्ञ से परामर्श जरुर करें।
गाजर की खेती करने में आने वाली प्रमुख समस्याएं:-
किसान भाईयों वैसे तो किसी भी खेती या कारोबार में समस्याएं तो आती ही हैं तो गाजर की खेती में भी कुछ समस्याएं आती हैं, जैसे: जिन जगहों पर सिंचाई की कमी है तो वहां समस्या आयेगी और खरपतवारों, रोगों तथा कीड़ों की समस्याएं आती हैं।
गाजर की फसल की खुदाई:-
गाजर की फसल लगभग 4 से 5 माह तक तैयार हो जाती है अतः अगस्त से सितंबर में बोई जाने वाली फसल जनवरी में खुदना शुरू हो जाती हैं। देशी गाजर को तब खोदना चाहिए जब उसका व्यास 4 से 5 सेमी हो और विलायती यानी कि विदेशी गाजर को तब खोदना चाहिए जब उसका व्यास 3 से 4 सेमी हो गाजर की खुदाई करते समय खेत में पर्याप्त नमी होनी चाहिए क्योंकि गाजर को खुरपी आदि से नहीं खोदते हैं।
गाजर की कुल उपज:-
देशी गाजर की एक हेक्टेयर में कुल उपज 200 से 250 कुंटल होती है वहीं विदेशी या विलायती गाजर की कुल उपज 150 से 200 कुंटल तक होती है।
गाजर का बीज उत्पादन:-
गाजर का बीज उत्पादन लेने के लिए स्वस्थ्य गाजर को लेकर नीचे का 1/3 भाग कांटकर फेंक दिया जाता है और उसके ऊपर के 2/3 भाग को लेकर उसकी पत्तियां तोड़कर फेंक दी जाती हैं और उसे खाद युक्त भूमि में लगाकर छोड़ दिया जाता है कुछ दिनों बाद उसी गाजर में जड़ें और तने निकलने लगते हैं तथा उनपर फूल और बीज लगने लगते हैं जब बीज पक जाते हैं तो उनको निकालकर इकट्ठा कर लिया जाता है अगर आप दो अलग – अलग किस्मों का बीज उत्पादन कर रहे हैं तो उनकी बीच की दूरी कम से कम 800 मीटर होनी ही चाहिए।
तो किसान भाईयों आपने पढ़ा कि गाजर की खेती किस प्रकार करते हैं अगर लेख पसंद आया हो तो लाल घंटी को क्लिक करके subscribe करें ताकि आने वाले और लेखों की सूचना आपको सबसे पहले मिले और लेख कैसा लगा कॉमेंट बॉक्स में जरुर बताएं।
प्रश्न और उत्तर (F&Q):-
1. क्या मुझे गाजर की खेती मुनाफा देगी?
गाजर की खेती एक ऐसी खेती या फसल है जिसकी डिमांड ज्यादा रहती है अगर आप गाजर बेचने के लिए सही बाजार अथवा सही लोकेशन का चुनाव करते हैं तो आपको गाजर की फसल बहुत मुनाफा देगी।
2. गाजर को अगस्त में बोएं या सितम्बर में?
आप को गाजर की बुवाई अगस्त में कर देनी चाहिए क्योंकि अगस्त में बोई गई फसल जल्दी तैयार हो जायेगी और इसका बाजार मूल्य भी अच्छा मिलेगा।
3. क्या गाजर बोने से पहले मिट्टी की जांच करानी चाहिए?
हां, अगर आपके आस – पास कोई मिट्टी जांच केंद्र हो तो आप मिट्टी की जांच करा लें ताकि आपको खाद आदि डालने की मात्रा का सही से पता चले और आप अच्छी उपज ले सकें। लेकीन अगर संसाधन नहीं हैं तो भी कोई दिक्कत नहीं होगी।
4. गाजर की खेती करने के लिए कौन सी प्रजाति बोएं?
आप अपने क्षेत्र के हिसाब से किसी विशेषज्ञ की सलाह लें अथवा किसी अच्छे बीज भण्डार वाले से सलाह ले सकते हैं।