क्या आपको यह पता है कि गेहूं का रस्ट या गेरूआ रोग पूरी तरह से फसल को बर्बाद कर सकता है लेकिन आप अब चिंता न करें क्योंकि हम आगे गेहूं में रस्ट (गेरुआ) रोग के लक्षण और उपाय जानेंगे.
गेहूं की फसल में फफूंदी के द्वारा कई रोग लगते हैं जिनसे फसल को कभी कभी बहुत भारी नुकसान हो जाता है उन्हीं में से एक है Rust Disease. जिस प्रकार लोहे पर जंग लग जाती है उसी तरह गेहूं में रस्ट रोग का प्रकोप होता है गेहूं में तीन तरह का रस्ट रोग लगता है.
- पीला गेरुआ रोग (Yellow 🟡 Rust Disease)
- भूरा गेरुआ रोग (Brown 🟤 Rust Disease)
- काला गेरुआ रोग (Black ⚫ Rust Disease)
पीला गेरूआ रोग (Yellow Rust Disease)
जब गेहूं की फसल में यह पीला गेरुआ रोग लगने लगता है तो इस रोग के लक्षण पत्तियों पर धारियों में पीले धब्बे के रुप में दिखाई देते हैं और जब रोग अंतिम अवस्था में होता है तो यही धब्बे काले रंग के हो जाते हैं तथा जब फसल में रोग का प्रकोप अधिक होता है तो इसके धब्बे तने और बालियों पर भी पड़ने लगते हैं यह रोग ठंडे और नम वातावरण में फैलता है.
इस रोग का प्रभाव यह पड़ता है कि पौधों की बालियों में जो दाने होते हैं वे हल्के तथा कमजोर होते हैं जब रोग बालियों पर पहुंच जाता है तब तो बालियों में दाने भी नहीं बनते हैं.
भूरा गेरूआ रोग (Brown Rust Disease)
भूरा गेरुआ रोग के होने पर भी पत्तियों पर धब्बे बन जाते हैं जिनका रंग भूरा नारंगी होता है और रोग के आखिरी चरण में धब्बे काले रंग के हो जाते है और धब्बे बिखरे हुए रहते हैं तथा अधिक प्रकोप पर धब्बे तने पर बनने लगते हैं.
जब फसल 5 से 6 सप्ताह की हो जाती है लगभग दिसंबर के अंतिम सप्ताह में, तो ब्राउन रस्ट रोग दिखाई देने लगता है. 15 डिग्री सेल्सियस से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान इसके बढ़ने में मदद करता है और यह रोग पूरे भारत में कहीं भी गेहूं की फसल में हो सकता है.
काला गेरुआ रोग (Black Rust Disease)
काला गेरुआ रोग सबसे ज्यादा देर में बोई गई गेहूं की फसल में होता है और गर्म तथा नम वातावरण में अधिक फैलता है इस रोग का प्रकोप तने पर होता है और तने के ऊपर लंबे लाल, भूरे रंग के उभरे हुए धब्बे बन जाते हैं.
जब यह रोग बहुत अधिक प्रकोप दिखाता है तो इसके धब्बे पौधे के अन्य भागों पर भी फैल जाते हैं आम तौर पर यह ब्लैक रस्ट रोग मार्च के पहले सप्ताह में देखा जाता है लेकिन इसको भारत में बहुत कम ही देखा गया है.
गेहूं का गेरुआ रोग की रोकथाम व उपाय (Rust Disease Control Method)
- सबसे पहले गेहूं बोने के समय ही हमें यह ध्यान रखना होता है कि गेरुआ रोधक किस्मों को ही बोया जाए. जैसे: PBW 343 और PBW 621, आदि.
- रोग के धब्बे दिखाई देते ही कार्बेंडाजिम जिसे बाविस्टिन भी कहते हैं, 0.1 प्रतिशत घोल का छिड़काव करना चाहिए.
- इंडोफिल एम-45 का छिड़काव 0.2 प्रतिशत के हिसाब से करना चाहिए. इसके लिए 1000 लीटर पानी में 2 किलोग्राम दवाई डालनी चाहिए. यह दवाई जनवरी महीने के अंतिम या फरवरी के शुरू के सप्ताह में छिड़काव करना चाहिए और इस दवाई के 10 या 15 दिन के अंतर पर 3 या 4 छिड़काव करने पड़ते हैं.
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