बाजरा एक मोठे अनाज की फसल है जिसे भोजन के अलावा पशुओं के चारे के रूप में भी प्रयोग किया जाता है और अब तो बाजार में बाजरा जैसे मोटे अनाजों की मांग बढ़ती हुई भी दिखाई दी है और अब कई किसान इसकी खेती करते हैं अगर आप भी चाहते हैं तो आप सही जगह पर हैं क्योंकि आज हम आपको बताएंगे कि बाजरा की वैज्ञानिक खेती कैसे करें.
मौसम और जलवायु
बाजरा की खेती के लिए ऐसे इलाके अनुकूल होते हैं जहाँ पर कम वर्षा होती है अपने देश में बाजरा को अधिकतर खरीफ के मौसम में बोया जाता है इसकी खेती करने के लिए उपयुक्त तापमान 21 से 27 डिग्री सेल्सियस के बीच अच्छा माना जाता है इसकी बुवाई मध्य जुलाई से मध्य अगस्त तक की जा सकती है.
मिट्टी और उसकी तैयारी
जिन जगहों पर भूमि के कमजोर होने पर अन्य फसलें नहीं उगाई जा सकती हैं उन सभी जगह पर बाजरा की खेती अच्छी उपज दे जाती है बलुई मिट्टी में भी बाजरा की उन्नत खेती जा सकती है लेकिन बलुई दोमट भूमि इसकी खेती के लिए अधिक फायदेमंद मानी जाती है.
और खेत की तयारी करने के लिए एक बार मिट्टी पलट हल से जुताई करनी चाहिए उसके बाद दो जुताइयाँ देशी हल से करनी चाहिए लेकिन अगर मिट्टी हल्की दोमट है तो मिट्टी पलट हल की आवश्यकता नहीं होती है.
उन्नत किस्में और बीज की मात्रा
बाजरा की देशी उन्नत किस्मों में बाजरा आइसोलेटेड, बाजरा इम्प्रोवेड घानी, बाजरा मैनुपुर, बाजरा S 530, बाजरा फतेहाबाद 91, आदि शामिल हैं जबकि संकर और संकुल किस्मों में पूसा 323, एन एच बी 5, बी के 560, पी एच बी 14, एच एच बी 60, एच सी 4 आदि शामिल हैं.
अब अगर बीज की मात्रा को देखें तो अन्न के लिए उगाई गई फसल के लिए 4 से 5 किलो बीज की जरुरत होती है जबकि चारे के लिए 10 से 12 किलो बीज की जरुरत होती है.
खाद और उर्वरक
देशी किस्मों के लिए 40 से 50 किलो नाइट्रोजन, 25 किलो फॉस्फोरस, 25 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर के लिए आवश्यक होती है जबकि संकर किस्मों के लिए 80 से 100 किलो नाइट्रोजन, 50 किलो फॉस्फोरस और 50 किलो पोटाश की प्रति हेक्टेयर के हिसाब से आवश्यकता होती है.
लेकिन बुवाई के समय आधी नाइट्रोजन और फॉस्फोरस तथा पोटाश की पूरी मात्रा खेत में देनी चाहिए और बची हुई आधी नाइट्रोजन को खेत में पौधों की छंटाई के बाद देनी चाहिए.
सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण
बाजरा की खेती में संकर किस्मों के लिए सिंचाई जरुरी होती है अगर समय पर वर्षा नहीं हो रही है तो पलेवा करके ही बाजरा को बोना चाहिए इसके साथ ही बाजरा की बढ़वार के समय और बाजरा में फूल आते समय खेत में नमी का होना बहुत जरुरी होता है.
और खरपतवारों को रोकने के लिए बुवाई के लगभग 3 सप्ताह बाद निराई गुड़ाई जरूर कर देनी चाहिए इसके अलावा रसायनों के प्रयोग से भी खरपतवार नियंत्रित किये जा सकते हैं.
प्रमुख कीट और रोग
बाजरा की फसल को भी रोगों और कीटों से हानि होती है बाजरा के मुख्य रोगों में हरी बाली रोग, अर्गट रोग और कंडुआ रोग आदि शामिल हैं जबकि मुख्य कीटों में दीमक, तना मक्खी, तना बेधक और मिज आदि शामिल हैं इनके नियंत्रित के लिए जैविक और रासायनिक तरीकों को अपनाया जा सकता है.
कटाई और उपज
बाजरा की कई किस्में 85 से 100 दिनों तक पककर तैयार हो जाती हैं जब बालियों में नमी प्रतिशत लगभग 20 प्रतिशत ही रह जाये तो उन्हें काट लेना चाहिए उसके बाद थ्रेशर आदि की सहायता से मंडाई प्रक्रिया पूरी कर ली जाती है अगर बात करें इसकी उपज की तो एक हेक्टेयर से लगभग देशी किस्मों में 20 से 22 क्विंटल और संकर किस्मों में 35 से 40 क्विंटल तक उपज मिल जाती है.
बाजरा को अधिक दामों में कैसे बेचें
सबसे पहले तो सही समय पर बाजरा की कटाई जरूर कर लें उसके बाद उसे आकार और प्रकार के अनुसार साफ कर लेना चाहिए उसके बाद आप किसी उत्पाद बनाने वाली कंपनी या फैक्ट्री को अपनी फसल बेच सकते हैं.
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