barsati muli ki kheti

ऐसे करें बरसाती मूली की खेती, कमाई लाखों में

बरसात में बोई गयी मूली में आप कम खर्च में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं और बाज़ार में अधिक मांग के कारण इसका बाज़ार भाव भी बहुत अच्छा मिलता है तो आज हम यह जानेंगे कि आप बरसात में मूली की खेती से लाखों रूपये कैसे कमा सकते हैं और अंत में हम कुछ ऐसी बातें भी बताएँगे जो आपको और कोई भी नहीं बताएगा.

मिट्टी और खेत की तैयारी 

सबसे पहले यह जान लेते हैं कि इसकी खेती के लिए किस तरह की मिट्टी अच्छी मानी जाती है; इसके लिए बलुई दोमट या दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है और और खेत की तैयारी की बात करें तो सबसे पहले 2 से 3 बार मिट्टी पलट हल से जुताई करने के बाद एक से दो बार रोटावेटर या हैरो से जुताई करके पाटा या पटेला चला देते हैं ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाये.

बेस्ट वैरायटी और उसकी बुवाई

अगर मूली की बेस्ट वैरायटी को देखें तो पूसा रत्ना, पंजाब काशी, पूसा चेतकी, पूसा रेशमी और पूसा हिमानी आदि कुछ मुख्य किस्में है और आप इनमें से किसी भी किस्म की 3 से 4 किलो बीज को एक एकड़ में बो सकते हैं लेकिन बीज बोते समय यह जरूर ध्यान दें कि बीज को 1 से 1.5 सेमी गहराई पर बोयें और लाइन से लाइन दूरी करीब 30 सेमी रखें और पौधों से पौधों की दूरी करीब 10 से 15 सेमी रखें लेकिन इसमें एक बात और ध्यान रखें कि आप उसी वैरायटी को चुनें जो आपके छेत्र की जलवायु और मिट्टी के लिए अनुकूल हो.

सिंचाई गुड़ाई 

इस स्टेप में हम जानेंगे सिंचाई और निराई गुड़ाई के बारे में वैसे तो बारिश के मौसम में सिंचाई करनी नहीं पड़ती है लेकिन फिर भी अगर किसी कारण से आपके छेत्र में बारिश न हो तो आप 8 से 10 दिनों के अंतर से सिंचाई कर सकते हैं.

और चूँकि यह बारिश का मौसम है इसलिए इस मौसम में खरपतवार भी बहुत निकलते हैं इसलिए आपको इस मौसम बार निराई गुड़ाई करनी होगी लेकिन निराई करते समय इस बात का जरूर ध्यान रखें कि यह काम करते समय मूली की जड़ों को कोई नुकसान न हो सके.

खाद और उर्वरक 

खेत की तैयारी के समय ही आपको लगभग 5 टन प्रति एकड़ के हिसाब से गोबर की खाद डाल लेनी चाहिए और जब मूली की बुवाई हो जाए तो उसके करीब 25 दिन बाद आपको 10 किलो यूरिया को प्रति एकड़ के हिसाब से देना चाहिए इससे आपकी मूली की ग्रोथ बहुत अच्छी होगी.

मुख्य रोग और कीट 

मूली की खेती में कई हानिकारक रोग और कीट आक्रमण करते हैं जिनमें सबसे हानिकारक रोग पत्ती धब्बा रोग, जड़ गलन आदि हैं जबकि हानिकारक कीटों में एफिड, मूली की मक्खी आदि हैं इनकी रोकथाम के लिए जैविक नाशियों का उपयोग करें फिर भी अगर नियंत्रण न हो तो रसायनों की ओर जाएँ.

कटाई और उपज 

मूली की फसल करीब 40 से 50 दिनों में तैयार हो जाती है तो इसे फिर जड़ सहित उखाड़ लेना चाहिए और अगर उपज की बात करें तो इससे उत्पादन करीब 10 टन प्रति एकड़ मिल जाता है.

बरसाती मूली की खेती के लिए महत्वपूर्ण टिप्स 

सबसे पहले खेत तैयार करते समय खेत को बराबर कर लें उसके बाद उसमें मेड़ बनाकर उनमें ही मूली के बीज लगाएं और खेत में पानी न भरने दें और मूली में अधिक सिंचाई न करें और समय समय पर खरपतवार जरूर निकाल दें.

अपनी मूली को महंगे दामों में कैसे बेचें 

सबसे पहले मूली को निकालने के बाद उसे साफ़ पानी से साफ़ कर दें इसके बाद उसकी अच्छे से छंटाई कर दें और उसे छोटे छोटे बंडलों में बांधकर बाज़ार भेजें या फिर किसी अचार बनाने वाली फैक्ट्री से संपर्क करके उसे अपनी मूली बेच दें या आप स्वयं ही मूली का अचार बनाकर बेच सकते हैं.

बरसाती मूली की खेती (वीडियो) ⏫

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